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दिल्ली: क्या प्रोफ़ेशनल थे दंगाई?, सुरक्षा बलों के जवानों की तरह दी गई थी ट्रेनिंग!

दिल्ली में हुए दंगों के दौरान हमने दंगाइयों के पेट्रोल बम का इस्तेमाल करने, पत्थरबाज़ी करने की घटनाएं सुनीं। हमने यह भी सुना कि दंगाइयों ने देसी कट्टों का, चाकू, लाठी-डंडों का इस्तेमाल किया। लेकिन अब दंगाइयों द्वारा एक ऐसे तरीक़े का इस्तेमाल किया गया है, जिसके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। यह ऐसा तरीक़ा है जिसका इस्तेमाल भारत में हुए दंगों के दौरान शायद ही पहले कभी किया गया हो। 

दंगाइयों ने इस तरीक़े का इस्तेमाल करावल नगर के दंगाग्रस्त इलाक़े शिव विहार में स्थित डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल में किया। तरीक़ा यह है कि स्कूल में उतरने के लिये दंगाइयों ने स्कूल की इमारत से सटी एक बिल्डिंग का सहारा लिया। चार या पांच मंजिला इस बिल्डिंग की छत पर रस्सी बांधी गई थी। स्थानीय लोगों ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि इसके सहारे दंगाई स्कूल में उतरे। ऐसा कभी नहीं सुना गया कि दंगों में शामिल उपद्रवियों ने इस तरह रस्सी का सहारा लिया हो। 

दंगाई इस बात की तैयारी के साथ आये थे कि अगर स्कूल को तहस-नहस करते वक्त कोई उन्हें पकड़ने की कोशिश करे तो वे रस्सी पकड़कर वापस बिल्डिंग की छत पर चढ़ जायें। 
रस्सी के सहारे चार-पांच मंजिली बिल्डिंग पर चढ़ जाना या इसकी छत से उतर जाना, कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसके लिये ट्रेनिंग दी जाती है और पूरी तरह ट्रेंड होने में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगता है। ऐसी ट्रेनिंग मिलिट्री (सेना), पुलिस के जवानों को ही दी जाती है।

इसका मतलब यह हुआ कि दंगाइयों को रस्सी से उतरने और चढ़ने की ट्रेनिंग दी गई थी और इसका यह भी मतलब हुआ कि दंगाई प्रोफ़ेशनल थे क्योंकि अमूमन दंगों में शामिल उपद्रवियों को ऐसी कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती। सवाल यह है कि तो ये दंगाई आख़िर कौन थे, किसने इन्हें रस्सी से चढ़ना-उतरना सिखाया?

सब फूंकने का था इरादा

इस स्कूल की जो हालत न्यूज़ चैनल्स के रिपोर्टर्स ने दिखाई है, उसे आप देखेंगे तो दहल जायेंगे। दंगाइयों ने जितना नुक़सान किया है, उसमें उन्हें कम से कम चार से पांच घंटे का समय लगा होगा। उन्होंने स्कूल के बहुत भारी जैनरेटर को गिरा दिया, एक नहीं सारी क्लासेस से बेंच, कुर्सियां खींचकर स्कूल के मैदान में फेंक दीं और इनमें आग लगा दी। 

दंगाइयों ने सभी क्लासेस के ब्लैकबोर्ड को भी तोड़ दिया और वह सब नुक़सान किया जितना वह कर सकते थे। दंगाइयों ने जिस तरह स्कूल को तहस-नहस किया, उससे साफ़ है कि वे पूरे स्कूल को फूंकने के इरादे से आये थे और उन्होंने इस काम में अपनी पूरी ताक़त लगा दी। यह अहम बात है कि नुक़सान को देखकर कहा जा सकता है कि दंगाइयों की संख्या अच्छी-ख़ासी रही होगी। 

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कंप्यूटर्स, लैपटॉप लूट ले गये 

‘इंडिया टुडे’ से बात करते हुए स्कूल के प्रशासनिक प्रमुख धर्मेश शर्मा ने कहा, ‘यह घटना सोमवार को दिन में 2 से 3 बजे के आसपास की है। दंगाई रस्सी के सहारे नीचे उतारे, स्कूल के गेट को तोड़ा और डेढ़ से दो हज़ार लोग स्कूल में घुस गये और उसके बाद जमकर तोड़फोड़ की गई।’ शर्मा कहते हैं, ‘दंगाइयों ने कंप्यूटर्स, लैपटॉप, एम्प्लीफ़ायर, सब लूट लिया क्योंकि इन चीजों का कोई मलबा नहीं मिला है।’ शर्मा का मतलब साफ़ है कि दंगाई लूट के इरादे से भी आये थे। शर्मा 25 साल से इस स्कूल को संभाल रहे हैं। 

यह पूछे जाने पर कि स्कूल की क्लासेस का फ़र्नीचर मैदान में कैसे आ गया, शर्मा ने कहा कि सारी क्लासेस से फ़र्नीचर को निकालकर ऊपर की मंजिलों से नीचे फेंका गया। वह कहते हैं कि स्कूल की लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब को पूरी तरह तोड़ दिया गया। स्कूल में लगभग 1000 बच्चे पढ़ते हैं।

‘योजना बनाकर किया तहस-नहस’ 

इसके बाद सवाल वही कि पुलिस क्या कर रही थी। दंगाई घंटों तक सब तहस-नहस करते रहे और निकल गये लेकिन पुलिस के कान में जूं तक नहीं रेंगी। शर्मा बताते हैं कि 24 घंटे तक स्कूल जलता रहा और पुलिस एक दिन बाद आई। शर्मा ने बताया कि जिन बच्चों के सोमवार को एग्जाम थे, वे दंगाइयों के आने से पहले जा चुके थे। शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि आग बुझाने वाली गाड़ियों को भी दंगाइयों ने निशाना बनाया और वे यहां नहीं पहुंच सकीं, इस वजह से लंबे समय तक आग लगी रही। शर्मा ने कहा कि उनके स्कूल को योजना बनाकर तहस-नहस किया गया। 

कई स्कूलों को बनाया निशाना 

एनडीटीवी के मुताबिक़, इस इलाक़े में कम से कम तीन स्कूलों को निशाना बनाया गया है। डीआरपी स्कूल से पहले दंगाइयों ने राजधानी स्कूल को निशाना बनाया। दंगाइयों ने राजधानी स्कूल के ड्राइवर और गार्ड को स्कूल में बंद कर दिया था। पुलिस के उन्हें छुड़ाने से पहले वे लगभग 40 घंटे तक बंद रहे। राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारूख़ बताते हैं कि स्कूल पर सोमवार को हमला किया गया और दंगाइयों ने सब कुछ तोड़ दिया और आग लगा दी। वह बताते हैं कि उन्होंने पुलिस को बुलाया लेकिन वह नहीं आई। मंगलवार को एक और स्कूल को दंगाइयों ने निशाना बनाया। दंगाग्रस्त इलाक़े बृजपुरी में स्थित इस स्कूल में 3 हज़ार बच्चे पढ़ते हैं। यहां दंगाइयों ने आग लगा दी थी। 

इंडिया टुडे के मुताबिक़, दंगाग्रस्त इलाक़ों में लगभग 5 हज़ार राउंड गोलियां भी चली हैं। मतलब साफ है कि इतनी गोलियां चलाने के लिये दंगाइयों ने बड़ी संख्या में या तो देसी कट्टों को इकट्ठा किया होगा या फिर बेहतर हथियारों का इंतजाम किया होगा। ऐसे में यह ख़ुफिया तंत्र की ही नाकामी है कि दंगाई असलहा इकट्ठा करते रहे और ख़ुफिया तंत्र को इसकी भनक तक नहीं लगी।

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पहले से थी दंगों की तैयारी 

यह भी पता चला है कि दंगाइयों ने पेट्रोल बम की मार दूर तक हो, इसके लिये गुलेल का इस्तेमाल किया और इन गुलेल को रेहड़ियों की मदद से इस तरह तैयार किया गया था कि ये ज़्यादा दूर तक जायें और ज़्यादा नुक़सान करें। ऐसे में यह साफ़ है कि दंगा अचानक नहीं भड़का बल्कि कई दिनों से इसकी तैयारी की जा रही थी। 

यह सब तब हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आये थे। उससे पहले दंगाइयों ने इतनी बड़ी संख्या में हथियारों, गोलियों का इंतजाम कर लिया लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। ऐसे में यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि राष्ट्रीय राजधानी का पुलिस और ख़ुफिया तंत्र पूरी तरह चौपट है।

दंगों के दौरान यह बात भी सामने आई है कि राजधानी में इतने बड़े दंगों को स्थानीय लोगों ने ही अंजाम नहीं दिया है, इसमें बाहरी लोग भी शामिल हैं। दंगाग्रस्त इलाक़े से उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों की दूरी ज़्यादा नहीं है। 

सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो में भी कई लोगों ने कहा है कि दंगाइयों को बाहर से बुलाया गया। लेकिन इतना सब होने के दौरान पुलिस सोती रही। ट्रंप भारत में थे, दिल्ली में थे लेकिन पुलिस, इंटेलीजेंस न जाने क्या कर रही थी। उसने किसी बदमाश की धरपकड़ नहीं की। पुलिस क्यों चुप बैठी रही, यह तो वही बताएगी लेकिन उसकी इस काहिली के कारण कई लोगों की जान चली गई, घर-मकान, दुकान-स्कूल सब बर्बाद हो गये, लोगों की जमा-पूंजी ख़त्म हो गई, भाईचारा ख़त्म हो गया, दिल्ली दंगों का शहर बन गया और यह दंगा कभी न भरने वाले घाव दे गया। 

‘पुलिस के काम में न करें हस्तक्षेप’

उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक विभूति नारायण राय ने कहा है कि दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस के कामकाज में केंद्रीय गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये। राय ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि एनएसए डीसीपी के दफ़्तर में जाकर कामकाज देख रहे हैं। 

पूर्व महानिदेशक ने कहा, दंगों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर लोग गोलियों से मारे गये हैं या घायल हुए हैं, वरना दंगों में पथराव, लाठी-डंडे, चाकू का ही इस्तेमाल होता रहा है। ऐसे में यह पूरी तरह स्थानीय पुलिस की असफलता है कि इतनी बड़ी संख्या में गोलियां, हथियार लोगों ने जमा किये हुए हैं और पुलिस को इस बारे में पता ही नहीं है।’ अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, दिल्ली में दंगों के दौरान गोली लगने से 82 लोग घायल हुए हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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