देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस की जांच जारी है। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता उमर खालिद पर दिल्ली दंगों से जुड़े होने के आरोप में ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) लगा दिया था।
खालिद के अलावा राष्ट्रीय जनता दल के नेता मीरान हैदर, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया को-ऑर्डिनेटर सफूरा ज़रगर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा इलाक़े के रहने वाले दानिश नाम के शख़्स पर भी यूएपीए लगा दिया गया था।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, अब पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई), जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी, पिंजरा तोड़, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के सदस्यों के साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ पूर्व और वर्तमान छात्रों पर भी यूएपीए के तहत कार्रवाई किए जाने की तैयारी है। एक प्रोफ़ेसर भी पुलिस के रडार पर हैं। पिंजरा तोड़ छात्रों का एक संगठन है जबकि आइसा एक वामपंथी छात्र संगठन है।
अख़बार के मुताबिक़, पुलिस के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने दिल्ली दंगों को लेकर कुछ वॉट्सऐप चैट्स की पड़ताल की है और इससे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इन संगठनों के लोग एक-दूसरे के संपर्क में थे। पुलिस के मुताबिक़, ये सभी लोग एक-दूसरे से बातचीत कर रहे थे और विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे थे। कुछ चैट्स में इन लोगों ने स्थानीय नेताओं से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इकट्ठा करने की बात कही है।
पीएफ़आई को विदेशों से फ़ंडिंग!
अख़बार के मुताबिक़, पुलिस सूत्रों का कहना है कि वे इन संगठनों के सदस्यों के बैंक खातों की भी जांच कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि पीएफ़आई को विदेशों से फ़ंडिंग हुई है। पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि दंगों को भड़काने में इन लोगों के द्वारा कई जगहों पर दिए गए भाषणों की भी भूमिका है।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद से दिल्ली दंगों के मामले में एसआईटी चार लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है। इनमें सफूरा ज़रगर, मीरान हैदर, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और एक्टिवस्ट खालिद सैफ़ी का नाम शामिल है। तमाम आरोपों के बीच दिल्ली पुलिस ने कहा है कि सभी गिरफ़्तारियां वैज्ञानिक और फ़ॉरेंसिक सबूतों के आधार पर की गई हैं।
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