हबीबुल्लाह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धरना-प्रदर्शन वाले इलाक़े में 5 वैकल्पिक सड़कें हैं जिन्हें पुलिस या लोगों ने बंद किया हुआ है। उन्होंने अदालत से कहा कि इस तरह के आरोप जिनमें कहा गया है कि प्रदर्शन के कारण ट्रैफ़िक जाम हो रहा है, पूरी तरह ग़लत हैं। हबीबुल्लाह ने अदालत को सौंपे हलफ़नामे में कहा, ‘मुझे इस बात का पता चला है कि कई सड़कें जिनका इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें पुलिस ने बेवजह ही बैरिकेडिंग लगाकर बंद किया हुआ है और प्रदर्शन को इसके लिये जिम्मेदार बताया जा रहा है, जो ग़लत है।’ उन्होंने हलफ़नामे में यह भी कहा है कि इन बैरिकेडिंग की वजह से ही अफरा-तफरी की स्थिति बन रही है और पुलिस को प्रदर्शन स्थल की समानांतर सड़कों को बंद करने के लिये जिम्मेदार लोगों के नामों का ख़ुलासा करना चाहिए।
अदालत ने इस मामले में सुनवाई के दौरान शाहीन बाग़-कालिंदी कुंज रोड को बंद किये जाने को लेकर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सड़कों को अनिश्चित काल के लिये बंद नहीं किया जा सकता है। शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों के कारण पुलिस ने मथुरा रोड और कालिंदी कुंज के बीच की सड़क 13ए को बंद किया हुआ है।
मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘आप प्रदर्शन करना चाहते हैं, इसमें कोई दिक़्कत नहीं है। लेकिन कल कोई दूसरे समुदाय के लोग किसी दूसरे इलाक़े में प्रदर्शन करेंगे, इसके लिये कोई ढंग होना चाहिए जिससे यातायात सुगमतापूर्वक चल सके।’ कोर्ट ने कहा था कि हमारी चिंता यह है कि हर आदमी अगर सड़कों को ब्लॉक करना शुरू कर देगा तो लोग कहां जायेंगे।
हबीबुल्लाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारी स्कूल वैन और एंबुलेंस को रोक रहे हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। उन्होंने कहा मुझे बताया गया है कि सभी एंबुलेंस और स्कूल वैन को प्रदर्शन स्थल से निकलने दिया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत में मध्यस्थ साधना रामचंद्रन ने कहा था कि अगर पूरी कोशिश के बाद भी बात नहीं बनती है तो केस वापस सुप्रीम कोर्ट में जायेगा और तब हमारे पास कोई विकल्प नहीं रहेगा और फिर सरकार जो करना चाहेगी, उसे करना पड़ेगा। दूसरे मध्यस्थ संजय हेगड़े ने कहा था कि कोर्ट ने कहा है कि आपका प्रदर्शन करने का अधिकार बरक़रार रहे और प्रदर्शन करने की जगह ऐसी हो जिससे दूसरों को कोई परेशानी न हो।
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