दिल्ली दंगों के मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित 3 लोगों को दिल्ली सरकार ने अपनी पैरवी करने के लिए नियुक्त किया है। दिल्ली सरकार ने 29 मई को हाई कोर्ट में इस बात की जानकारी दी है। मेहता के अलावा ये दो लोग एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य और अमन लेखी हैं। अमन लेखी नई दिल्ली सीट से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के पति हैं।
दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने 25 साल की गुलफ़िशा फ़ातिमा की दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में रिहाई के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केजरीवाल सरकार के इस फ़ैसले की जानकारी अदालत को दी। एमबीए की छात्रा फ़ातिमा को 9 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था और उसके बाद से ही उसे हिरासत में रखा गया है।
हाई कोर्ट ने मामले में पिछली सुनवाई के दौरान पूछा था कि इस मामले में दिल्ली पुलिस और सरकार की ओर से कौन पेश होगा।
केजरीवाल का एलजी से हुआ था विवाद
दिल्ली दंगों के मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर को नियुक्त करने को लेकर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल के बीच ख़ूब विवाद हुआ था। यह विवाद तब और बढ़ गया था, जब एलजी ने यह मामला राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दिया था और इसमें उन्होंने ‘विचारों में अंतर’ होने का हवाला दिया था। तब यह सवाल उठा था कि क्या एलजी दिल्ली सरकार को बाइपास करके वकील नियुक्त कर सकते हैं।
केजरीवाल सरकार इस मामले में वकीलों का अपना पैनल चाहती थी और उसने कैबिनेट की बैठक में एक पैनल को मान्यता भी दे दी थी।
आम आदमी पार्टी सरकार के इस फ़ैसले को लेकर उसकी ख़ूब आलोचना हो रही है और लोगों ने उसे बीजेपी की ‘डी’ टीम बताया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘जब यह साफ हो गया है कि पुलिस नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों को प्रताड़ित कर रही है तो ऐसे में केजरीवाल ने यह फ़ैसला क्यों लिया?’ भूषण ने तंज कसते हुए कहा कि केजरीवाल की राजनीति पूरी तरह अनैतिक है और अगर उन्हें शैतान के साथ काम करने से फ़ायदा होगा तो वह उसके साथ भी काम कर लेंगे।
समाजशास्त्री नंदिनी सुंदर ने ट्वीट किया है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार बीजेपी की ‘डी’ टीम है। उन्होंने इस फ़ैसले को शर्मनाक बताया है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक ही हैं और अब यह आधिकारिक हो गया है। उन्होंने कहा है कि सैयां भये कोतवाल, अब डर काहे का।
लंबे समय तक जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की अनुमति नहीं देने वाले केजरीवाल ने चुनाव जीतने के तुरंत बाद जब इस मामले में इजाजत दे दी थी, तब भी उनकी काफी आलोचना हुई थी।
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