दिल्ली के जिस रामलीला मैदान से आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई थी वहीं से आज उसने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हुंकार भरी। आप की यह रैली दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण के लिए मोदी सरकार के अध्यादेश के ख़िलाफ़ थी। इस रैली में केजरीवाल ने मोदी सरकार के अध्यादेश को 'तानाशाही अध्यादेश' क़रार दिया। अध्यादेश को लेकर उन्होंने कहा कि अब दिल्ली की जनता सर्वोच्च नहीं है, केवल एलजी सर्वोच्च है। आप के मुखिया ने कहा कि यह तानाशाही को ख़त्म करने, लोकतंत्र को वापस लाने का आंदोलन है। इसके साथ ही केजरीवाल ने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के लिए एक चेतावनी दी।
केजरीवाल ने कहा, 'ये मत सोचो कि ये सिर्फ दिल्ली के लिए हो रहा है। मैंने सुना है कि वे देश के बाकी हिस्सों के लिए भी इसी तरह का अध्यादेश लाने की योजना बना रहे हैं। दिल्ली जैसा अध्यादेश तानाशाही की घोषणा जैसा है। इसे महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश में लाया जाएगा।'
केंद्र सरकार की तानाशाही के ख़िलाफ़ जनता खड़ी हो गई है। दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली। LIVE https://t.co/EvISUpLGJJ
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 11, 2023
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला किया और कहा कि पीएम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 'बदल' दिया। केजरीवाल ने जिस मुद्दे का ज़िक्र किया वह दरअसल दिल्ली के अधिकार से जुड़ा मामला है। कुछ समय पहले दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि यह स्पष्ट किया जाए कि उसके पास कुछ शक्तियां हैं या नहीं? क्या वो अधिकारियों का तबादला कर सकती है, क्या वो कानून बना सकती है? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा था कि दिल्ली राज्य सरकार के पास पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन को लेकर कोई शक्ति नहीं है, लेकिन उसे अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और अन्य कानून बनाने का अधिकार है, क्योंकि वहां भी एक विधानसभा है और उसके विधायक भी जनता चुनकर भेजती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 19 मई की रात केंद्र ने एक अध्यादेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण गठित किया गया है, जिसके पास दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सिफारिश करने की शक्ति होगी। इस अध्यादेश ने एक तरह से अरविन्द केजरीवाल सरकार के हाथ-पैर बांध दिए। यही वजह है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल मोदी सरकार के इस अध्यादेश को रोकने के लिए विपक्षी दलों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी की रामलीला मैदान में आज की इस रैली का मुद्दा भी यह अध्यादेश ही था। केजरीवाल ने रैली में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र सर्वोच्च है। लोगों की इच्छा सर्वोच्च है। निर्वाचित सरकार, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो, को काम करने का अधिकार होना चाहिए। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सुप्रीम कोर्ट गलत था? क्या पीएम को आदेश का पालन करना चाहिए? मोदी जी ने कहा कि मैं नहीं करता। उन्होंने एक अध्यादेश पारित किया।' उन्होंने आगे कहा, 'अध्यादेश क्या कहता है? मोदी जी का अध्यादेश कहता है कि दिल्ली में लोकतंत्र नहीं होगा, तानाशाही है। जनता सर्वोच्च नहीं है, एलजी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग किसे चुनते हैं, मैं दिल्ली चलाऊंगा।'
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संविधान बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखा गया था। उन्होंने लिखा था कि लोग सर्वोच्च होंगे। पीएम ने संविधान को बदल दिया है। लोग सर्वोच्च नहीं हैं, पीएम हैं। लोगों के वोट का कोई मूल्य नहीं है। उनका कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दिल्ली की जनता किसको वोट देती है।
अरविंद केजरीवाल, दिल्ली मुख्यमंत्री
रैली की शुरुआत में आप प्रमुख ने कहा, '12 साल पहले हम यहां भ्रष्टाचार के खिलाफ इकट्ठा हुए थे। यह एक पवित्र मंच है। आज हम एक तानाशाह को देश से बाहर करने के लिए एकत्र हुए हैं। उस समय, हमारा आंदोलन सफल रहा था। यह तानाशाही को समाप्त करने, लोकतंत्र को वापस लाने के लिए एक आंदोलन है।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और कहा, 'कृपया मेरे 8 साल की सत्ता का आकलन करें। मैंने स्कूल बनवाए, मैंने अस्पताल बनवाए, लोगों को मुफ्त इलाज दिया, उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा दी, मुफ्त बिजली दी। मोदी जी ने कहा कि मैं मुफ्त रेवड़ी बांटता हूं। अगर मैंने मुफ्त गरीबों को रेवड़ी दी तो क्या दिक्कत है?' उन्होंने कहा, 'मोदी जी, आपने तो पूरे का पूरा रेवड़ा उठा के अपने दोस्तों को दे दिया।'
अरविंद केजरीवाल ने पीएम की आलोचना करते हुए कहा, 'हर जगह बेरोजगारी है, वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इसका समाधान कैसे किया जाए। हर जगह भ्रष्टाचार है, वे नहीं जानते कि इसे कैसे ठीक किया जाए। जीएसटी के कारण व्यापारी पीड़ित हैं, वे नहीं जानते कि इसे कैसे ठीक किया जाए।'
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