‘ये काली काली आंखें’ नेटफ्लिक्स पर शुरू हुई वेब सीरीज़ है जिसे रोमांटिक थ्रिलर कहा जा रहा है। पहला सीज़न उत्तर भारत के सवर्ण वर्चस्ववादी राजनीतिक-सामाजिक ढाँचे की छतरी तले पनपे कस्बाई जुनूनी इश्क़ की कहानी से शुरू होता है और एक दिलचस्प सस्पेंस थ्रिलर के मोड़ पर ख़त्म होता है । बचपन का ऐसा प्यार जिसमें ब्राह्मण-ठाकुर का एंगल भी है।

ये काली काली आंखें का पहला सीज़न जहाँ ख़त्म होता है, वहाँ से एक नये सस्पेंस की शुरुआत का इशारा मिलता है। यानी अगला सीज़न और दिलचस्प हो सकता है।
इस साल ताहिर राज भसीन की यह दूसरी सीरीज़ है जो ‘रंजिश ही सही’ के तुरंत बाद नेटफ्लिक्स पर आ गई है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों के शीर्षक बहुत लोकप्रिय संगीत रचनाओं से लिए गये हैं। ‘रंजिश ही सही’ नाम मेहंदी हसन की ग़ज़ल से लिया गया है जबकि ‘ये काली काली आँखें’ का नाम शाहरुख़ खान की हिट फिल्म ‘बाज़ीगर’ के बेहद लोकप्रिय गाने के मुखड़े से ।
ओटीटी की दुनिया में यह साल ताहिर राज भसीन के लिए अच्छी शुरूआत लेकर आया है। तापसी पन्नू के साथ उनकी फिल्म ‘लूपलपेटा’ भी आनेवाली है।