बिहार की राजनीति में इन दिनों नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन के इस्तीफे की चर्चा गर्म है। मंगलवार की दोपहर मीडिया में खबर आई की उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
उनके इस्तीफे की अटकलें बीते कई दिनों से चल रही हैं ऐसे में इस खबर ने खूब चर्चा बटोरी। हालांकि कुछ ही देर बाद
ललन सिंह ने खुद अपने इस्तीफा देने की खबरों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा है कि हमने काई इस्तीफा नहीं दिया है।
बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री और नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने भी ललन सिंह के इस्तीफे की बात का खंडन किया है।
उनके इस्तीफे की खबर मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे आई इसके बाद दोपहर 1.30 बजे ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने इस खबर को ग़लत बताया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा है कि पार्टी में खाई तो दूर, खरोंच तक नहीं है।
जेडीयू की ओर से भी इस खबर का खंडन किया गया है। पार्टी का दावा है कि ललन सिंह अपने पद पर बने हुए हैं और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है।
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं परिषद की दिल्ली में 29 दिसंबर को बैठक होने वाली है। इसमें उनके इस्तीफे पर फैसला लिया जाएगा।इस बैठक के बाद सामने आयेगा कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद अब इस्तीफा देंगे या फिर उन्हें एक और कार्यकाल दिया जाएगा।
21 जुलाई 2021 को इन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। जेडीयू में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। ललन सिंह बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
नीतीश ले सकते हैं पार्टी की कमान अपने हाथों में
पिछले कुछ दिनों से कयास लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार खुद पार्टी की कमान अपने हाथों में ले सकते हैं। वह पहले भी इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं एक कयास यह भी लग रहा है कि चुनावी समीकरणों को देखते हुए नीतीश कुमार यह पद किसी अति पिछड़ा समाज से आने वाले नेता को सौंपना चाहते हैं।
ललन सिंह के इस्तीफे की अटकलें तेज होने का कारण भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं का बयान भी है। उनकी ओर से ऐसे बयान दिए जा चुके हैं कि ललन सिंह की लालू यादव से करीबी बढ़ गई है इसके कारण नीतीश उन्हें पसंद नहीं कर रहे। ललन सिंह और नीतीश के विरोधी नेता लगातार कह रहे हैं कि उनका इस्तीफा कभी भी हो सकता है।
करीब छह माह पहले उपेंद्र कुशवाहा कह चुके हैं कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अब नाम के जदयू में हैं। वह जदयू के कम और राजद के ज्यादा आदमी हैं। उन्होंने कहा था कि ललन सिंह राजद की भाषा बोल रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने तब कहा था कि बहुत लोगों को यह मालूम नहीं होगा लेकिन आने वाले समय में सब स्पष्ट हो जाएगा। ऐसा कह कर उन्होंने संकेत दिया था कि ललन सिंह का जल्द ही इस्तीफा हो सकता है।
19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई बैठक के बाद से उनके इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि बैठक के अगले दिन 20 दिसंबर को नीतीश कुमार पटना लौट आए। इस दिन ललन सिंह दिल्ली से लौटे नहीं, वह 21 दिसंबर को दिल्ली से आएं।
वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी 21 दिसंबर को दिल्ली से आएं। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार और ललन सिंह में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें आने लगी है।
नीतीश ने खुद ललन सिंह को उनके घर तक छोड़ा था
इस बीच फिर खबर आई कि शनिवार की देर शाम सीएम नीतीश कुमार और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बीच मुलाकात हुई है।
ललन सिंह खुद सीएम नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान वित्त मंत्री और वरिष्ठ जेडीयू नेता विजय चौधरी भी मौजूद थे।
इस मुलाकात के बाद सीएम नीतीश कुमार ललन सिंह को छोड़ने उनके आवास तक खुद गए थे। नीतीश कुमार उनके आवास पर करीब 10 मिनट तक रुके भी थे। इस मुलाकात के बाद नीतीश की नाराज़गी से जुड़ी अटकलों पर विराम लग गया था।
लेकिन मंगलवार को मीडिया में आई उनके इस्तीफे की खबर ने फिर से एक बार अटकलों को तेज कर दिया है। उनके इस्तीफे की संभावना इसलिए भी जताई जा रही है कि 6 अगस्त 2022 जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने पार्टी छोड़ी थी। वह भी कभी नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते थे। उनकी नीतीश कुमार से दूरी बढ़ने का कारण भाजपा से उनकी नजदीकियां मानी जाती है। अब वह बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार का साथ छोड़कर अलग पार्टी बना चुके हैं। नीतीश और जदयू के विरोधी कह रहे हैं कि ललन सिंह से भी नीतीश कुमार इस्तीफा लेकर अपनी नाराज़गी जता सकते हैं।
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