दिल्ली में मंगलवार को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक पर देश भर की निगाहे हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद हो रही इस बैठक में विपक्षी दलों की क्या रणनीति होगी यह देश जानना चाहता है।
इस बीच इंडिया गठबंधन के कद्दावर नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को बड़ी भूमिका मिले इसको लेकर उनकी पार्टी के नेताओं की ओर से मांग की जा रही है।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के विधायक रिंकू सिंह ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नीतीश कुमार सबसे सशक्त चेहरा है।
नीतीश कुमार से बेहतर कोई उम्मीदवार नहीं हो सकता है। रिंकू सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा कोई चारा नहीं है। और कोई ऐसा चेहरा नहीं, जो इंडिया गठबंधन को जिता सके।
इधर पटना में रविवार को जदयू कार्यालय के सामने एक पोस्टर भी लगाया गया है जिसमें कहा गया कि 2024 में देश मांगे नीतीश। जदयू के व्यावसायिक एवं उद्योग की ओर से हाटे बाजार-नीतीश कुमार नाम का अभियान चलाकर नीतीश कुमार को प्रमोट किया जा रहा है।
जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री अशोक चौधरी कह चुके हैं कि नीतीश कुमार में वह तमाम गुण और योग्यताएं हैं जो इंडिया गठबंधन को लीड करने वाले नेता में होनी चाहिए।
इन बयानों और कार्यक्रमों को लेकर माना जा रहा है कि जदयू की ओर से कांग्रेस पर अब दबाव बनाया जा रहा है कि नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का नेता बनाया जाए।
राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस के कमजोर होने के बाद इंडिया गठबंधन में क्षेत्रीय दल पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। ऐसे में जदयू को लगता है कि वह कुछ और क्षेत्रीय दलों को अपनी तरफ मिलाकर कांग्रेस से बेहतर तोलमोल कर सकती है। क्षेत्रीय दलों को भी कांग्रेस के किसी नेता के मुकाबले नीतीश को अपना नेता मानना ज्यादा फायदेमंद लग सकता है।
एक बार फिर से एक्टिव हो चुके हैं नीतीश
नीतीश कुमार हाल के दिनों में एक बार फिर एक्टिव होतो दिख भी रहे हैं। नीतीश कुमार की अगले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश, झारखंड में भी कई रैलियां हो सकती है। इसको लेकर जदयू तैयारियां कर रहा है। ये रैलियां जदयू अकेले अपने दम पर करना चाहती है। इसके पीछे कोशिश इन दोनों राज्यों के कुर्मी मतदाताओं अपनी ओर लाना है। इन दोनों राज्यों में कई लोकसभा सीटे ऐसी हैं जिनपर कुर्मी मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है और वे हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जदयू इन वोटरों को साधने की कोशिश में है। इसके साथ ही जदयू नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश से लेकर झारखंड तक एक बड़े नेता के तौर स्थापित करना चाहती है जो बड़ी संख्या में लोकसभा सीटें जीता सकते हैं।
नीतीश कुमार को लेकर इस तरह की मांगे होने के पीछे का कारण कांग्रेस का कमजोर होना है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार के बाद इंडिया गठबंधन के दलों के बीच कांग्रेस की स्थिति अब कमजोर हो चुकी है। ऐसे में इंडिया गठबंधन के कई दल अपने-अपने नेताओं को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहते हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार ही नहीं कई दूसरे दलों के नेताओं को लेकर भी इस तरह की मांगे आने वाले दिनों में उठने वाली हैं।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों का चुनावी शोर थमने के बाद अब फाइनल मुकाबले यानी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीति की पिच तैयार होने लगी है। इसी कड़ा में विपक्षी इंडिया गठबंधन के घटक दल भी अब एक्टिव मोड में आ गए हैं। अब विपक्षी दल कांग्रेस से तोल-मोल करने के मूड में हैं।
नीतीश की पहल पर बना था इंडिया गठबंधन
इंडिया गठबंधन की पूरी सोच और इसे जमीन पर उतारने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है। वह ही पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने पूरे देश में घूम-घूम कर विपक्षी नेताओं को एकजुट किया था। इसके लिए कई राज्यों का दौरा किया था। इनकी बड़ी कोशिशों के बाद ही पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई थी।इसके बाद फिर बेंगलुरु में हुई बैठक में इंडिया गठबंधन नाम रखा गया था। इसकी पहली बैठक से यह कयास लगाया जाने लगा था कि नीतीश कुमार को ही इसका संयोजक बनाया जा सकता है।
बाद के दिनों में कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त हो गई थी इसके कारण इंडिया गठबंधन में गतिविधियां बंद सी हो गई थी लेकिन फिर से इसके सक्रिय होने के बाद नीतीश कुमार को संयोजक बनाने और प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की मांगें उठने लगी हैं।
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