बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एक बार फिर से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से अपने लगाव का इजहार किया है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अटल जी से मेरे बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। वे मुझे बहुत मानते थे। जब उनकी सरकार बनी तो उन्होंने मुझे मंत्री बनाया और अहम जिम्मेदारियां दी। अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में भी भूमिका निभाई थी।
उन्हें मुझसे बहुत प्रेम था। नीतीश कुमार ने कहा कि अटल जी के प्रति मेरा लगाव है और हम आजीवन उनका सम्मान करेंगे। उनके प्रति मेरे मन में आज भी बहुत आदर का भाव है।
नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन का अहम हिस्सा है इसके बावजूद वह समय-समय पर अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफें करते रहते हैं। ऐसा कर के वह कई बार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसे अपने सहयोगी दलों को असहज कर देते हैं। यही कारण है कि उनके विरोधी अक्सर उन पर सवाल उठाते हैं कि कहीं उनके ब्यानों का कोई राजनैतिक मतलब तो नहीं है।
इससे पहले अक्टूबर में ही उन्होंने भाजपा नेताओं से दोस्ती को लेकर बयान दिया था। उसके बाद कई तरह की अटकले लगने लगी थी जिसके बाद नीतीश कुमार ने सफाई भी दी थी।
अक्टूबर में मोतिहारी में एक कार्यक्रम में उन्होंने भाजपा नेताओं को लेकर कहा था कि यहां सामने जो लोग बैठे हैं वे 2005 से हमारे साथ रहे हैं। हम इधर हैं और आप उधर हैं, इसे छोड़िए। दोस्ती थोड़े खत्म होगी इससे। हम आपकी इज्जत करते रहेंगे हम जब तक जीवित रहेंगे हमारे मन में आप सभी के प्रति आदर का भाव रहेगा। उन्होंने कहा था कि हम आगे भी आप सबकी सेवा और सम्मान करते रहेंगे।
नीतीश कुमार की कार्यशैली पर नजर रखने वाले और उनकी राजनीति की समझ रखने वालों का मानन है कि नीतीश कुमार फिलहाल भाजपा से गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं। ऐसी सारी अटकले महज अफवाहें और गलत जानकारी है। नीतीश कुमार हमेशा अपनी छवि को लेकर सजग रहने वाले नेता हैं।
वे दशकों से अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करते रहे हैं। जब तक अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ अच्छा रहा वह उनसे मिलते-जुलते रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच अच्छी आपसी समझ रही है। अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी होने के कारण ही नीतीश कुमार केंद्र में महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे हैं। उनका भाजपा से दूर होना भी तभी शुरू हुआ जब भाजपा में नरेंद्र मोदी मजबूत हुए।
ऐसे में नीतीश कुमार ईमानदारी से अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति अपने लगाव का इजहार समय-समय पर करते हैं लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि वह भाजपा से गठबंधन करने की कोशिश में हैं।
वहीं कुछ राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार भले भी एनडीए में नहीं जा रहे हो लेकिन जब-जब राजद या कांग्रेस से किसी बात को लेकर नाराजगी होती है तब वह अटल बिहारी वाजपेयी या भाजपा के अन्य नेताओं से अपने करीबी संबंधों की चर्चा करते हैं। ऐसा कर वह अपने सहयोगी दलों पर दबाव बनाते हैं।
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वाजपेयी के बहाने मोदी सरकार पर कसा तंज
नीतीश कुमार ने इस मौके पर अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफें कर के नरेंद्र मोदी सरकार पर भी तंज कसा है।उन्होंने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने बहुत अच्छे तरीके से काम किया और जान लीजिए कि जितने दिनों तक वह देश के प्रधानमंत्री रहे उस दौरान कभी किसी दूसरे धर्म वालों को कोई दिक्कत नही होती थी।
नीतीश ने कहा कि आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। यह बयान देकर नीतीश ने भाजपा सरकार की हिंदूवादी नीति पर तंज कसा।
उन्होंने कहा कि मैंने अटल बिहारी वाजपेयी जी की विचारधारा को दिल से अपनाया। नीतीश ने कहा कि उस समय मीटिंग में जो कुछ फैसला लिया जाता था उसे मैं तुरंत स्वीकार कर लेता था। सभी क्षेत्रों में उनके सहयोग से मैंने काम किया।
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इंडिया गठबंधन से कोई नाराजगी नहीं है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को इस मौके पर इंडिया गठबंधन से नाराजगी की खबरों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वे किसी भी बात को लेकर नाराज नहीं हैं, हमको गठबंधन से कुछ नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे किसी पद की लालसा नहीं है।इंडिया गठबंधन से नाराजगी से जुड़ा सवाल इसलिए उनसे पूछा गया क्योंकि बीते 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक के बाद उनकी नाराजगी की खबर आने लगी थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था। इससे नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे थे।
नीतीश कुमार ने बिहार की महागठबंधन सरकार को लेकर कहा कि यहां भी सब ठीक है, हम सब मिलकर काम कर रहे हैं।
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