loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

जीत

कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय

जीत

पुलिस हिरासत में दो मुसलमानों की मौत, नीतीश की बढ़ेंगी मुश्किलें

भारतीय जनता पार्टी के साथ आने की  वजह से बिहार के मुसलमान नीतीश कुमार से ख़फ़ा हैं और यह साफ़ है कि वे उन्हें इस बार वोट नहीं देने जा रहे हैं। यह इससे भी समझा जा सकता है कि मुसलमानों को जोड़ने की उनकी तमाम क़वायदें नाकाम रही हैं और मुसलमानों ने खुद को इस तरह के कार्यक्रमों से दूर रखा है। ऐसे में पुलिस हिरासत में दो मुसलमान युवकों के मारे जाने की घटना से बिहार में राजनीतिक भूचाल आने की आशंका है। यह भी साफ़ है कि इस वारदात से नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' की छवि को ज़बरदस्त धक्का लग सकता है। 

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, सीतामढ़ी में पुलिस हिरासत में दो अभियुक्तों की मौत हो गई। अभियुक्तों को बुरी तरह पीटा गया और शरीर में कीलें ठोकीं गई हैं।

दफ़नाने से पहले दोनों की ली गई तसवीरों में उनका शरीर बुरी तरह चोटिल है और ऐसा लग रहा है कि शरीर में कीलें ठोकीं गईं हों। अभियुक्तों के परिवार ने पुलिस से मिलकर ये तसवीरें उनको सौंपी हैं। जिसके बाद एफ़आईआर दर्ज कर पाँच पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया है।
बिहार से और खबरें

डीजीपी ने स्वीकारा, हिरासत में हुई मौत

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने हिरासत में हुई मौत को स्वीकारते हुए कहा है कि ऐसी घटना मंज़ूर नहीं है और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि डुमरा पुलिस थानाध्यक्ष चन्द्र भूषण सिंह समेत विभाग के पाँच पुलिस वालों को सस्पेंड किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि उनको विभागीय कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा और अगर वे ख़ुद को नहीं सौंपते हैं तो इनको बरख़ास्त भी कर दिया जाएगा।
बता दें कि दर्ज हुई एफ़आईआर में किसी भी पुलिस वाले के नाम दर्ज नहीं किया गया है। दरअसल 6 मार्च को सीतामढ़ी पुलिस ने ग़ुफ़रान आलम और तसलीम अंसारी को उनके गाँव रामदिया से गिरफ़्तार था। उनको मोटरसाइकिल चोरी करने और उसके मालिक मुजफ्फरपुर निवासी राकेश कुमार की हत्या के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

आधी रात को किया गिरफ़्तार

बता दें कि तसलीम का इससे पहले भी पुलिस रिकॉर्ड में नाम दर्ज है। उस पर पूर्वी चम्पारण में चार आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं ग़ुफ़रान पर इससे पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। रामदिया गाँव बिहार के मोतीहारी लोकसभा सीट में है जिसके सांसद बीजेपी नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह हैं।
बिहार से और खबरें
ग़ुफ़रान के पिता मुनव्वर अली बताते हैं कि सभी लोग सो रहे थे जब रात में चकिया पुलिस चौकी से पाँच जीप आकर उनके घर के सामने रुकीं। जीप  में आई पुलिस ने कहा कि वे ग़ुफ़रान से उस पर चल रहे आपराधिक मामले के बारे में पूछ-ताछ करना चाहते हैं। अली बताते हैं कि जब तक वह कुछ बता पाते उन्होंने ग़ुफ़रान को पकड़ लिया और उसके बाद उन्होंने गाँव के ही दूसरे अभियुक्त को भी उसी रात उठा लिया।

पीट-पीट कर तोड़ दिए पैर

वह बताते हैं कि वह ग्रामीणों के साथ रात के 3 बजे ही पुलिस थाने पहुँचे लेकिन उनको वहाँ ग़ुफ़रान और तसलीम दोनों ही नहीं मिले। जिसके बाद उसी रात एक बार फिर वह पुलिस स्टेशन गए लेकिन दोनों का कोई हाल नहीं मिला। फिर किसी ने बताया कि दोनों को डुमरा पुलिस स्टेशन ले जाया गया है।

जब किसी ने उनकी बात ग़ुफ़रान से कराई तब उसने बताया कि उसको बहुत ही निर्मम तरीके से पीटा गया है और उसके पैरों को तोड़ दिया गया। वह ठीक से बोल तक नहीं पा रहा था।


मुलव्वर अली, (मृतक ग़ुफ़रान के पिता)

अस्पताल में मौत, अगले दिन दिया शव

इसके बाद जब अभियुक्तों के परिजन 6 मार्च को सुबह पाँच बजे डुमरा पुलिस स्टेशन पहुँचे तब उन्होंने देखा कि वहाँ केवल दो महिला कॉन्सटेबल थीं। उनसे ग़ुफ़रान औऱ तसलीम के बारे में पूछने पर पता चला कि दोनों को सदर अस्पताल भेज दिया गया है। ग़ुफ़रान के ससुर मुहम्मद अयूब आलम बताते हैं कि जब वे लोग अस्पताल गए तो वहाँ उनको दोनों की मौत की ख़बर ही मिली। उनको दोनों के शव तक को देखने नहीं दिया गया। अगले दिन उनको शव सौंपे गये।

शरीर में ठोकीं थी कीलें

जिसके बाद दफ़नाने से पहले परिवार वालों ने उनके शरीर पर बुरी तरह पीटने के निशान और घाव देखे। वहीं परिवार को कागज़ी कार्रवाई में मदद करने वाले कॉलेज छात्र साबिल रौने का कहना है कि उसके पास मृतकों के शवों की तसवीरें और वीडियो हैं जिसमें साफ-साफ दिख रहा है कि उनके शरीर में कीलें ठोकीं गईं थीं। वहीं अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतज़ार है।
ग़ुफ़रान के पिता का कहना कि ग़ुफ़रान कतर में इलेक्ट्रशियन का काम करता है और पिछले साल ही वह वापस आया था। वह इस बार दोहा जाने  को था लेकिन अपने बेटे का दाखिला कराने के कारण जाने में देरी कर रहा था। वहीं मृतक के परिजनों ने 50 लाख हर्ज़ाना और ग़ुफ़रान की पत्नि को नौकरी की माँग की है। इसके अलावा तसलीम के पिता का कहना है कि पुलिस उसे ऐसे कैसे मार सकती है। वो कहते हैं कि क्या यहीं कानून व्यवस्था है जिसकी बात प्रदेश के मुख्यमंत्री करते हैं।
चुनाव के ऐन पहले इस वारदात के राजनीतिक अर्थ हैं। राष्ट्रीय जनता दल पहले भी कई बार नीतीश कुमार सरकार के कामकाज पर हमले कर चुकी है। उसने नीतीश कुमार के सुशासन की छवि को तोड़ने की कोशिशें कई बार की हैं। इस बार उसे एक ही तीर से दो शिकार कर सकेगी। इस मुद्दे से जहाँ वह मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगा सकती है वहीं पुलिस की निरंकुशता का मुद्दा भी उठा सकती है। नीतीश के साथ दिक्कत यह है कि वह बीजेपी के साथ चुनाव लड़ रही है, जिसको लेकर मुसलमान पहले से ही खफ़ा हैं। बिहार बीजेपी में एक भी मुसलमान चेहरा नहीं है, जिसकी ओट में पार्टी खुद को छुपा सके या कोई लीपापोती कर सके।

बिहार 17 प्रतिशत मुसलमान वोटर हैं और कम से कम पाँच-छह सीटों पर वे निर्णायक स्थिति में हैं। दरभंगा, किशनगंज, पूर्णिया, भागलपुर में मुसलमान बिल्कुल निर्णायक स्थिति में हैं, इसके अलावा तक़रीबन दस सीटों पर उनकी अच्छी ख़ासी मौजूदगी है। ऐसे में इस वारदात से जनता दल युनाइटेड को नुक़सान होना तय है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें