बिहार सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुधाकर सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। सुधाकर सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना महाभारत के पात्र शिखंडी से की है। याद दिलाना होगा कि अगस्त महीने में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी। इस सरकार में आरजेडी के कोटे से सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था।
लेकिन मंत्री बनने के एक महीने के बाद ही सुधाकर सिंह ने एक रैली में कृषि विभाग को चोरों का विभाग और खुद को चोरों का सरदार बताया था। उनके इस बयान पर जबरदस्त विवाद हुआ था और इसके बाद उन्होंने कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
सुधाकर सिंह आरजेडी की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। जगदानंद सिंह आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुराने सहयोगियों में से एक हैं। जगदानंद सिंह कुछ महीने तक आरजेडी नेतृत्व से कथित रूप से नाराज रहे थे हालांकि अब उन्होंने फिर से आरजेडी दफ्तर का कामकाज संभाल लिया है।
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सुधाकर सिंह ने स्थानीय यू ट्यूब चैनल न्यूज़4नेशन से बातचीत में कहा, “नीतीश कुमार से पहले भी बिहार में मुख्यमंत्री थे और उनके बाद भी बनेंगे। लेकिन इतिहास सबको याद नहीं रखता है। कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव, श्रीकृष्ण सिन्हा को इतिहास याद रखता है, क्या बाकी लोगों को इतिहास इस तरह से याद रखेगा, कभी नहीं याद रखेगा।”
सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि कुर्सी पर बैठे रहने से लोग आपको याद नहीं करेंगे। आपके किए हुए काम ही लोग याद रखेंगे। नीतीश कुमार को इतिहास याद नहीं रखेगा।
विधायक ने कहा कि जब नीतीश कुर्सी से नीचे उतरेंगे तो आपको भी मालूम होगा कि इतिहास उन्हें किस नजरिए से देखेगा, शिखंडी के रूप में।
नीतीश को नाइट वॉचमैन कहा
एक सवाल के जवाब में सुधाकर सिंह ने कहा कि अगर आज तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं हैं तो इसके लिए नीतीश कुमार ही दोषी हैं और आज भी वह कुर्सी से नीचे उतरने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्व मंत्री ने कहा, “नीतीश कुमार आए थे नाइट वॉचमैन के रूप में कि हम तो दो-चार महीने रहेंगे और उसके बाद तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन चार-पांच महीने बीतने के बाद भी अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं बने हैं तो इसके लिए दोषी नीतीश कुमार हैं और उनसे पूछा जाना चाहिए कि वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनने दे रहे हैं।”
जेडीयू ने दी तीखी प्रतिक्रिया
निश्चित रूप से यह ऐसे बयान हैं जिनसे बिहार सरकार में सहयोगी जेडीयू का नाराज होना स्वाभाविक था और ऐसा ही हुआ भी। सुधाकर सिंह का बयान सामने आने के बाद जेडीयू के तमाम नेताओं ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सुधाकर सिंह के बयान पर जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुधाकर सिंह के बयान को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। कुशवाहा ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को ट्विटर पर टैग करते हुए कहा कि जरा गौर से सुनिए अपने विधायक के बयान को और उन्हें बताइए कि राजनीति में भाषा की मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है।
.@yadavtejashwi जी,
— Upendra Kushwaha (@UpendraKushJDU) January 2, 2023
जरा गौर से देखिए-सुनिए अपने एक माननीय विधायक के बयान को और उन्हें बताईए कि राजनीति में भाषाई मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है। वे उस शख्सियत को "शिखंडी" कह रहें हैं जिन्होंने बिहार को उस खौफनाक मंजर से मुक्ति दिलाने की "मर्दानगी"...1/4https://t.co/KVUJQ6jKyJ
कुशवाहा ने कहा है कि इतने बड़े नेता को कोई नाईट वॉचमैन कहे, यह बिहार की समस्त जनता का अपमान नहीं तो और क्या है। कुशवाहा ने ट्वीट कर कहा है कि ऐसे बयानों पर जितनी जल्दी रोक लगे उतना अच्छा होगा और यह गठबंधन के लिए भी अच्छा होगा और शायद आपके लिए भी।
जेडीयू के विधान पार्षद व प्रदेश उपाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा है कि सुधाकर सिंह महागठबंधन के खिलाफ जो बोल रहे हैं, वह बीजेपी के इशारे पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुधाकर सिंह के खिलाफ आरजेडी का हाईकमान जरूर फैसला लेगा। उन्होंने सुधाकर सिंह को बीजेपी का पिट्ठू बताया।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और गठबंधन सरकार में सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने भी सुधाकर सिंह के बयान की आलोचना की है। मांझी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करके सुधाकर सिंह ने साबित कर दिया है कि भले ही वह आरजेडी में हों लेकिन उनकी आत्मा आज भी अपने पुराने दल बीजेपी के साथ ही है।
मा.मुख्यमंत्री @NitishKumar जी पर अभद्र टिप्पणी करके सुधाकर सिंह ने साबित कर दिया है कि भले ही वह राजद में हों पर उनकी आत्मा आज भी अपने पुराने दल भाजपा के साथ ही है।
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 2, 2023
ऐसे में @RJDforIndia की जवाबदेही बनती है कि अविलंब सुधाकर सिंह पर कारवाई करें,यही गठबंधन धर्म का पालन होगा।
आरजेडी ने की निंदा
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि ऐसे बयानों की निंदा की जानी चाहिए और इस तरह के बयानों से गठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ता है। सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री के खिलाफ यह बयान जानबूझकर दिया है और उनकी बीजेपी से पुरानी नज़दीकियां जगजाहिर हैं।
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सुधाकर सिंह का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम को आगे बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। नीतीश ने कुछ दिन पहले महागठबंधन के विधायकों की बैठक में कहा था कि 2025 के विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव महा गठबंधन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा था कि तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। नीतीश ने यह बयान देकर एक तरह से तेजस्वी यादव के जेडीयू-महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का अगला दावेदार होने का रास्ता पूरी तरह साफ कर दिया था।
विवाद के बाद दी सफाई
अपने बयान पर विवाद होने के बाद सुधाकर सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उनके द्वारा शिखंडी शब्द के इस्तेमाल का गलत मतलब निकाला गया। आरजेडी विधायक ने कहा कि उन्होंने यह बयान राजनीतिक संदर्भ में यह बताते हुए दिया था कि बीजेपी ने किस तरह लालू प्रसाद यादव को गिराने के लिए नीतीश कुमार का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि वह अपने नाइट वॉचमैन वाली बात पर कायम हैं और जब नीतीश ने हमारे नेता तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है तो नीतीश की भूमिका नाइट वॉचमैन से ज्यादा कुछ नहीं है।
लेकिन सुधाकर सिंह के बयान पर जिस तरह सहयोगी दलों के नेताओं उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी ने तीखी टिप्पणियां की है, उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इस बयान के बाद आरजेडी और जेडीयू के रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
ऐसे वक्त में जब नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की बात कह रहे हैं और महागठबंधन के साथ आने के बाद तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं, ऐसे में बिहार में आरजेडी के विधायक का उन पर इतना तीखा हमला करना निश्चित रूप से एक बड़ी घटना है।
नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ आने के बाद से ही विपक्षी एकता की जोरदार पैरवी करते रहे हैं। वह कह चुके हैं कि अगर विपक्षी दल एकजुट हो गए तो 2024 में हम बीजेपी को हरा सकते हैं। वह विपक्षी दलों के मेन फ्रंट बनाने की बात भी कह चुके हैं। लेकिन सुधाकर सिंह के बयानों के कारण कहीं बिहार में महागठबंधन की सरकार को अगर खतरा पैदा हो गया तो 2024 के लिए विपक्षी एकता का क्या होगा?, यह सवाल बिहार के सियासी गलियारों में पूछा जा रहा है।
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