बिहार में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के पुराने नेता और लालू प्रसाद यादव के साथ लंबे समय तक राजनीति करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरूवार को पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। इसे आरजेडी के लिए बड़ा झटका इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि यह इस्तीफ़ा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ है।
बीते कुछ दिनों में आरजेडी के कई एमएलसी और एमएलए पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। लालू प्रसाद यादव जेल में हैं और ऐसे में रघुवंश प्रसाद के जाने से पार्टी को चुनाव प्रचार में खासी दिक्कत पेश आ सकती है। रघुवंश प्रसाद सिंह ने चिट्ठी लिखकर अपने इस्तीफ़े की घोषणा की है।
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जून में दिया था इस्तीफ़ा
रघुवंश प्रसाद सिंह ने जब जून में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा दिया था, तो तभी यह माना जा रहा था कि वह अपना इस्तीफ़ा वापस नहीं लेंगे। हालांकि उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिशें की गईं लेकिन वह टस से मस नहीं हुए। लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य में आरजेडी का सूपड़ा साफ हो गया था और अब बिहार चुनाव से पहले कई एमएलसी, एमएलए के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद का भी पार्टी को छोड़ देना उसके लिए सदमे की तरह है।
रामा सिंह के आने से थे नाराज
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के पूर्व दबंग सांसद रामा सिंह को आरजेडी में शामिल किए जाने की चर्चाओं के बाद ही रघुवंश ने अपनी नाराजगी जता दी थी। यह बात लालू और तेजस्वी यादव को भी पता थी। लेकिन इसके बाद भी रामा सिंह को पार्टी में शामिल किया गया और उसका नतीजा यह हुआ कि रघुवंश प्रसाद ने पार्टी को अलविदा कह दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली संसदीय क्षेत्र से रामा सिंह बतौर एनडीए के घटक दल एलजेपी के प्रत्याशी थे और तब उन्होंने पहली ही बार में आरजेडी उम्मीदवार रघुवंश प्रसाद को हराया था। जबकि रघुवंश इस सीट से पांच बार सांसद रह चुके थे।
कुछ दिन पहले लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह के पार्टी छोड़ने को लेकर कहा था कि अगर समुद्र से एक लोटा पानी निकल भी जाएगा तो क्या फर्क पड़ेगा। इसके बाद लालू और तेजस्वी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी लेकिन रामा सिंह के पार्टी में आने के मुद्दे पर रघुवंश प्रसाद समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे।
हाल ही में जेडीयू ने रघुवंश प्रसाद को पार्टी में शामिल होने का न्यौता दिया था। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा था कि रघुवंश जी की आरजेडी में लगातार उपेक्षा हो रही है और अगर वह जेडीयू में आते हैं तो यह खुशी की बात होगी।
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