नीतीश कुमार सोमवार यानी 16 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। रविवार की सुबह पहले जनता दल यूनाइटेड और उसके बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के विधायक दल का नेता चुने जाने के साथ ही नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ़ हो गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल फागु चौहान से मिल कर बहुमत का दावा करते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने उन्हें सोमवार को शपथ ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया है।
बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए को सबसे ज़्यादा 125 सीटें मिली हैं, जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया। एनडीए में नीतीश कुमार के जदयू को 43 और बीजेपी को 74 सीटों पर जीत हासिल हुई है। यानी कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
आरजेडी का तंज
मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री चुने जाने पर ज़ोरदार हमला करते हुए तंज किया है कि इतनी कम सीटें जीतने वाले दल का मुखिया भला राज्य का मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है। बता दें कि बिहार में 243 सीटें हैं।
सांसद मनोज झा ने यह सवाल उठाते हुए कहा है कि 'लोगों का जनादेश उनके खिलाफ गया है, उन्होंने प्रदेश को बर्बाद किया है, उन्हें इसपर विचार करना चाहिए।'
लेकिन मनोझ झा ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि 'बिहार अपना स्वाभाविक विकल्प ढूंढ लेगा। इस प्रकिया में सप्ताह, दस दिन या एक महीने का समय लग सकता है लेकिन ऐसा होगा।'
रविवार को हुई अलग-अलग बैठकों में नीतीश कुमार को पहले जदयू विधायक दल का नेता चुना गया, उसके बाद उन्हें एनडीए विधायक दल का नेता चुन लिया गया।
नीतीश कुमार सोमवार को लगातार चौथी बार और कुल मिला कर सातवीं बार बिहार का मुख्यमंत्री बनेंगे।
केंद्रीय पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनडीए विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार के नाम की घोषणा की। एनडीए की इस बैठक में सभी चार घटक दल मौजूद थे।
सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री?
लेकिन सुशील कुमार मोदी बिहार के अगले उप मुख्यमंत्री बनने पर संशय बना हुआ है। यह अहम इसलिए है कि थोड़ी देर पहले तक यह अटकल लगाई जा रही थी कि शायद इस बार सुशील मोदी को उप मुख्यमंत्री पद न मिले। इसकी यह वजह बताई जा रही थी कि मोदी नीतीश के नज़दीक हैं, नीतीश की स्थिति कमज़ोर हुई है, लिहाजा, शायद बीजेपी नेतृत्व उनकी बात इस बार न माने।इस संशय को इससे बल मिला कि नीतीश कुमार के साथ राजभवन तक सुशील कुमार मोदी नहीं गए। दूसरे, नीतीश कुमार से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या सुशील मोदी भी आपके साथ शपथ लेंगे, नीतीश कुमार ने कहा, इन बातों के बारे में थोड़ी देर में पता चल जाएगा। यानी यह साफ़ है कि सुशील मोदी के उप मुख्यमंत्री बनने पर अब तक संदेह बरक़रार है।
एनडीए की बैठक में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, भूपेंद्र यादव समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है। वहीं उप नेता के तौर पर रेणु देवी का नाम तय हुआ है।
कम सीटें वाले दल का नेता मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री चुना जाना महत्वपूर्ण इसलिए है कि उनके जनता दल यूनाइटेड को बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सिर्फ 43 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी को 74 सीटें हासिल हुईं। यानी, जदयू को बीजेपी से कम सीटें मिली हैं। इसका मतलब यह हुआ कि कम सीटें हासिल करने के बावजूद जदयू के नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश कमज़ोर मुख्यमंत्री होंगे, उनकी नहीं चलेगी और वे बीजेपी के सभी कार्यक्रम लागू करने को मजबूर होंगे। इसके पहले ही नीतीश कुमार ने पिछली विधानसभा का कार्यकाल पूरा होता देख राज्यपाल फागू चौहान को पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
राज्यपाल ने नीतीश कुमार को नई सरकार का गठन होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा था। जीत के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा था कि एनडीए विधायक दल की बैठक में विस्तृत रूप से इस मुद्दे पर चर्चा होगी और तभी इस पर निर्णय लिया जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 नवंबर को घोषित हुए थे।
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