बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या फिर से एनडीए में जाएंगे? यह सवाल सोमवार की सुबह राजनीतिक हलकों में छाया रहा। सवाल उठने का कारण यह था कि, नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना में जनसंघ (वर्तमान में भाजपा) के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में हिस्सा लिया और उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
जैसे ही यह खबर सुबह में सामने आई कि नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में जा रहे हैं तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। इन कयासों को मजबूती तब और भी ज्यादा मिली जब पता चला कि नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम के लिए हरियाणा में विपक्ष के महाजुटान से दूरी बना ली है।
हालांकि नीतीश कुमार ने इन सभी सवालों को फालतू बताते हुए विपक्ष की एकजुटता की बात कही है। पटना में सोमवार को इस कार्यक्रम में पहुंचे नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इन सवालों पर कहा कि ये सब फालतू बात है। इसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरा सिर्फ एक ही लक्ष्य है विपक्ष को एकजुट करना।
इस कार्यक्रम में क्यों शामिल हुए इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि हम तो कितना जगह जाते हैं। कई जगह जाते हैं जहां जाना होता है वहां जाते ही हैं, इसमें कोई बड़ी बात थोड़े है। दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में पहुंचने को लेकर एक सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। कोई भी जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकता है।
कार्यक्रम में जब तक नीतीश रहे तब तक कोई भाजपा नेता नहीं पहुंचे थे। इसको लेकर जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि जो दीनदयाल जी के विचारों से सहमत है, और नहीं आते हैं तो वे समझे कि क्यों नहीं आते हैं। नीतीश ने कहा कि हम सब की इज्जत करते है, सब का सम्मान करते हैं और सब लोगों के लिए काम करते हैं। इस दौरान खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम में बिहार के उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए।
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विपक्ष कार्यक्रम में नहीं पहुंचे नीतीश
सोमवार को इंडियन नेशनल लोकदल ने कैथल में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती को लेकर बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत विपक्षी गठबंधन इंडिया के विभिन्न नेताओं को आमंत्रित किया गया था। चौधरी देवीलाल की जयंती में नीतीश नहीं गए। यही कारण है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में शामिल होने पर कई तरह के कयास लगाए गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह राजकीय कार्यक्रम था यानि बिहार सरकार की ओर से इसका आयोजन किया गया था। 2020 में जब नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन का हिस्सा थे तब से इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी।
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नीतीश के जाने के बाद उसी कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा नेता
पटना में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह से जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव निकल गए तब भाजपा के नेता इसमें पहुंचे। इस मौके पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, राजयसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नन्द किशोर यादव, और बिहार में भाजपा संगठन के प्रभारी नागेंद्र श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। भाजपा नेताओं ने कहा कि उन्हें इस सरकारी कार्यक्रम के बारे में बताया ही नहीं गया था। जैसे ही उन्हें जानकारी हुई वे इसमें शामिल होने पहुंचे। इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हमें इस सरकारी कार्यक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सम्राट चौधरी ने कहा कि अगर हमें जानकारी होती तब जरूर आते। जब उनसे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर सवाल पूछे गए तो सम्राट चौधरी ने कहा कि यह अच्छी बात है, उन्हें शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापुरूषों का सम्मान होना चाहिए।
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