एआईएडीएमके ने एनडीए से संबंध तोड़ लिया है। इसने इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी। इस संबंध में पार्टी ने प्रस्ताव पारित किया है। चेन्नई में पार्टी के मुख्य कार्यालय में सांसदों, विधायकों और जिला प्रमुखों की बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित होने के बाद अन्नाद्रमुक के उप महासचिव केपी मुनुसामी ने एनडीए से औपचारिक रूप से अलग होने की घोषणा की।
ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी एआईएडीएमके ने बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में बड़ा झटका दिया है। पार्टी ने कहा कि यह कदम एक साल से अधिक समय से अन्नाद्रमुक और उनके नेताओं पर भाजपा के हमलों और मानहानि वाले बयानों के विरोध में उठाया गया है।
पार्टी ने कहा, 'भाजपा का राज्य नेतृत्व पिछले एक साल से हमारे पूर्व नेताओं, हमारे महासचिव ईपीएस और हमारे कार्यकर्ताओं पर लगातार अनावश्यक टिप्पणी कर रहा है। आज की बैठक में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।'
एआईएडीएमके के आधिकारिक पेज एक्स पर कहा गया है, 'यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि एआईएडीएमके 2 करोड़ स्वयंसेवकों की राय और इच्छाओं का सम्मान करते हुए आज से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से हट जाएगी।'
क़रीब एक हफ्ते पहले तमिलनाडु में एआईएडीएमके और भाजपा का गठबंधन खत्म होने के संकेत मिले थे। एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने पिछले सोमवार को कहा था कि तमिलनाडु में अब उनकी पार्टी और भाजपा के रास्ते अलग हो चुके हैं। उन्होंने कहा था कि किसी तरह के गठबंधन के बारे में अब हमारी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही फैसला करेगी। उन्होंने साफ किया था कि यह उनके विचार नहीं हैं बल्कि यह पार्टी का फैसला है।
इस बीच मनमुटाव को दूर करने की कोशिशें जारी रहीं। शनिवार को दिल्ली में एक बैठक में - तनावपूर्ण संबंधों को फिर से बहाल करने का अंतिम प्रयास किया गया। दक्षिण भारतीय पार्टी अपनी मांग पर अड़ी रही कि या तो भाजपा के तमिलनाडु प्रमुख के अन्नामलाई दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगें या उन्हें गैर-विवादास्पद नेता से बदल दिया जाए। अन्नादुरई अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन के गुरु थे।
भाजपा नेता पहले भी दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के आलोचक रहे हैं। जयललिता अन्नाद्रमुक के भीतर एक प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति रही हैं। उस समय एआईएडीएमके ने राज्य भाजपा प्रमुख पर लगाम लगाने की मांग की थी।
बता दें कि पहले मैत्रीपूर्ण संबंधों के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी नेता रहीं जयललिता ने लंबे समय तक भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया था।
दोनों दलों के बीच दूरी आने का एक प्रमुख कारण यह भी रहा है कि दोनों के गठबंधन में आने के बाद एआईएडीएमके 2019 का लोकसभा चुनाव और 2021 का विधानसभा चुनाव सहित सभी चुनाव हार गई है। तमिलनाडु में पार्टी पिछले कुछ समय से भाजपा को एक बोझ के रूप में देख रही थी।
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