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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार को विशेष दर्जे वाले बयान से नीतीश पलटे, क्या डर है भाई?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने केंद्र से विशेष दर्जा या विशेष पैकेज मांगा था। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बजट में घोषित "विशेष मदद" ने राज्य की चिंताओं को दूर कर दिया है। हालांकि, एनडीए के सहयोगी जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार से पत्रकारों के यह पूछे जाने पर कि क्या वह बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग छोड़ रहे हैं, वो कोई सीधा जवाब देने से बचते रहे।

उन्होंने कहा, "मैंने इस (विशेष दर्जे) के बारे में लगातार बात की है। मैंने उनसे कहा कि या तो हमें विशेष दर्जा दिया जाए या विशेष पैकेज दिया जाए... इसके बाद उन्होंने कई चीजों के लिए सहायता की घोषणा की है... और बहुत से लोगों ने कहा कि विशेष दर्जे का प्रावधान बहुत पहले ही खत्म कर दिया गया था, इसलिए इसके बजाय, बिहार की मदद के लिए सहायता दी जानी चाहिए।"

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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार पर नीतीश ने कहा-  "आपको सारी चीजें धीरे-धीरे पता चल जाएंगी, और धीरे-धीरे सब कुछ जान जाएंगे।"

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2024 भाषण में बिहार के लिए कई योजनाओं की घोषणा की, जिसमें 26,000 करोड़ रुपये की सड़क कनेक्टिविटी परियोजनाएं भी शामिल हैं। केंद्र ने विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के साथ-साथ नालंदा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा- "ये लोग जो इतना शोर मचा रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि जब वे केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार का हिस्सा थे, तो राज्य को कभी भी उसका हक नहीं मिला। आप जो भी प्रगति देख सकते हैं, वह 2005 में हमारे सत्ता संभालने के बाद से राज्य सरकार के प्रयासों का नतीजा है। तब तक स्थिति इतनी खराब थी कि पटना जैसे शहर में भी लोग अंधेरे के बाद अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे।''
विशेष राज्य के मुद्दे पर नीतीश कुमार के इस तरह पलटने की बिहार के लोगों में खासी चर्चा है। वहां के तमाम पत्रकारों का कहना है कि लोग नीतीश के पुराने बयानों को याद कर रहे हैं। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके पुराने बयानों को फिर से शेयर किया है। लोगों का कहना है कि किसी पुराने मामले की वजह से नीतीश कुमार केंद्र की मोदी सरकार से बेहद डरे हुए हैं। इसीलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले पलटी मारी। उन्हें इंडिया में इसी काम के लिए भेजा गया था ताकि वो इंडिया को कमजोर करके वहां से निकल आएं। लेकिन ये सब चर्चाएं हैं। इनकी पुष्टि के लिए सबूत नहीं हैं, परिस्थितियों का आकलन किया जा सकता है।
बहरहाल, विपक्ष ने इस कुर्सी बचाओ बजट करार दिया। क्योंकि बजट में सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश के ही तमाम घोषणाएं हैं। इसीलिए इसने 'कुर्सी बचाओ' बजट कहने के लिए विपक्ष को प्रेरित किया। क्योंकि भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पर निर्भर है। जेडीयू के लोकसभा में 12 सांसद हैं, जो एनडीए में तीसरा सबसे बड़ा घटक है।

राज्य को विशेष दर्जा देने से केंद्र के इनकार के खिलाफ विपक्षी आरजेडी और कांग्रेस द्वारा बिहार विधानसभा में भी हंगामा और नारेबाजी देखी गई। दोनों दलों के नेताओं ने सदन में आरोप लगाया कि केंद्र जानबूझ कर विशेष दर्जे की मांग पर ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि नीतीश कुमार ने इसी शर्त पर एनडीए का समर्थन किया था।

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उधर, जेडीयू के सलाहकार और मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा, "बिहार को जो मिला उससे हम बहुत खुश हैं।" उन्होंने कहा कि इस बारे में ज्यादा गहराई में जाने का कोई मतलब नहीं है कि केंद्र राज्य को विशेष दर्जा देने पर विचार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, ''विपक्ष को इस पर चिल्लाने दीजिए। विचार बिहार का विकास सुनिश्चित करना है। 1 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक पैकेज ने हमारे लिए एक अच्छी शुरुआत की है।”

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क़मर वहीद नक़वी
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