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फाइल फोटो

क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से हैं नाराज ? 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चा इस बात की है कि वह इंडिया गठबंधन से नाराज हैं। अब क्यास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार जेडीयू की 29 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। 
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे को लेकर भी अटकलबाजी चल रही है। मंगलवार दोपहर में खबर आई कि ललन सिंह अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इस खबर के आने के कुछ ही घंटों बाद ललन सिंह और जेडीयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने इस खबर का खंडन कर दिया। 
इसके बाद भी चर्चा है कि ललन सिंह का 29 दिसंबर को इस्तीफा लिया जा सकता है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार इस दिन कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। इंडिया गठबंधन से वह नाराज चल रहे हैं इसका सबसे बड़ा सबूत इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर नीतीश का निकल जाना है। इसके बाद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने नीतीश कुमार को फोन भी किया था। 
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में रहते हुए इसे मजबूत शक्तिशाली बनाएंगे या फिर लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर खुद को और शक्तिशाली बनाएंगे ? जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में क्या बड़े फैसले हो सकते हैं? नीतीश इन दिनों तमाम अटकलों पर खामोश है लेकिन उनकी गतिविधियां हर दिन चर्चा में है। 
नीतीश कुमार को लेकर सबसे अधिक चर्चा इस बात पर है कि वह 19 दिसंबर को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में क्या नाराज हो गए थे ? राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के ऐसे नेता हैं जो काफी कम बोलते हैं और बोलने से ज्यादा अपने एक्शन के लिए जाने जाते हैं। 
नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संस्थापक माने जाते हैं। उनकी पहल पर ही इंडिया गठबंधन की स्थापना हुई थी। उन्होंने देश के कई राज्यों में घूम-घूम कर विभिन्न दलों के विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का काम किया था। इस गठबंधन की स्थापना के बाद से ही यह चर्चा थी कि नीतीश कुमार को इसका संयोजक घोषित किया जा सकता है। बाद के दिनों में कई जदयू नेताओं ने तो उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की भी मांग कर दी थी। 
इंडिया गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी ने जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर दी तो इससे भी नीतीश के नाराज होने की खबर आई थी। इंडिया गठबंधन ने साफ कर दिया है कि अगर लोकसभा चुनाव में उसकी जीत होती है तब प्रधानमंत्री का चुनाव उसके सांसदों की ओर से किया जाएगा। 

हालांकि इस बात से वह इतना नाराज हो जाए कि इंडिया गठबंधन से ही दूर हो जाए इसकी संभावना कम ही है। दूसरा सवाल यह है कि वह क्या इंडिया गठबंधन छोड़ कर दुबारा से एनडीए में चले जाएंगे तो इस सवाल पर कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के कई नेता यह बोल चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। 

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भाजपा नीतीश की राजनैतिक जमीन छीनने में लगी है 

भाजपा बिहार में पिछले करीब 2 वर्ष से नीतीश की राजनैतिक जमीन छीनने की कोशिश में है। वह नीतीश के आधार वोट बैंक कुशवाहा और धानुक में सेंध भी लगा चुकी है। भाजपा के नेता हाल के समय में नीतीश कुमार को ही टारगेट कर हमला करते रहे हैं। 

दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि भाजपा से दोबारा हाथ मिलाने में नीतीश कुमार को कोई खास फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण यह है कि भाजपा अब गठबंधन हो जाए तब भी  किसी भी सूरत में नीतीश को मुख्यमंत्री पद पर देखना नहीं चाहेगी।

नीतीश इस बात को बखूबी समझते हैं। भाजपा में जाकर उन्हें कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। नीतीश के उपर ऐसा कोई केस-मुकदमा भी नहीं है जिसके कारण उन्हें ईडी-सीबीआई का डर हो। 
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि राजद की ओर से उन्हें कोई परेशानी भी नहीं दी जा रही है। राजद और खुद तेजस्वी यादव उन्हें हर संभव सपोर्ट कर रहे हैं। ऐसे में राजद से नाता तोड़ने का कोई कारण नहीं है।  
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राजद भी जेडीयू को तोड़ने का जोखिम नहीं लेगा

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि संख्या बल के हिसाब से देखे तो जेडीयू के सारे विधायक राजद में जाने के लिए अभी तैयार भी नहीं हैं। ऐसे में राजद जेडयू को तोड़ने का जोखिम तो अभी कम से कम नहीं ही लेगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक यह स्थिति रहने वाली है और नीतीश या राजद कोई जोखिम नहीं लेने वाले हैं। 
लोकसभा चुनाव के बाद यह हो सकता है कि तब के समीकरणों के हिसाब से नीतीश कोई बड़ा निर्णय ले लें लेकिन अभी इसकी कोई उम्मीद नहीं दिखती।
फिर सवाल उठता है कि ललन सिंह का क्यों इस्तीफा लेने की खबर आ रही है। जदयू की राजनीति को करीब से देखने वाले जानकार बताते हैं कि जेडीयू में अध्यक्ष का कार्यकाल 2 वर्ष का होता है। ललन सिंह अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। नीतीश लोकसभा चुनाव को देखते हुए नए राजनैतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। 
सूत्र बताते हैं कि नीतीश ललन सिंह से हाल के दिनों में नाराज चल रहे हैं। नीतीश के विरोधी नेता तो यहां तक दावा कर चुके हैं कि ललन सिंह राजद के करीब जा चुके हैं। इसके कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं। हालांकि इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका पता 29 दिसंबर को ही लगेगा। 
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साकिब खान
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