loader

बिहार: खटपट शुरू, लव जिहाद पर बीजेपी-जेडीयू में तकरार

बिहार में सरकार बने अभी जुमा-जुमा चार दिन ही हुए हैं कि बीजेपी-जेडीयू के बीच खटपट शुरू हो गयी है। सरकार बनते ही अपनी पार्टी जेडीयू के नेता मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा लेने को मजबूर हुए नीतीश कुमार को बीजेपी के हिंदुवादी फ़ायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने मुसीबत में डाल दिया है। 

देश भर में बीजेपी शासित कई राज्य सरकारों ने कहा है कि वे लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही हैं। मध्य प्रदेश में लव जिहाद से संबंधित क़ानून लाने की तैयारियां जोरों पर हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसके लिए अध्यादेश ला रही है। कर्नाटक, हरियाणा भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। 

ताज़ा ख़बरें

चूंकि बिहार में बीजेपी सरकार में है, इसलिए सवाल खड़ा हुआ कि क्या यहां की सरकार भी लव जिहाद को लेकर क़ानून लाएगी। इस सवाल के जवाब में गिरिराज सिंह ने कहा है कि हर राज्य को लव जिहाद पर क़ानून बनाना चाहिए और बिहार इससे अलग नहीं है। 

‘कैंसर है लव जिहाद’

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है, ‘लव जिहाद सामाजिक समरसता के लिए कैंसर हो गया है। कई राज्य इसके लिए क़ानून बनाने की मुहिम में लग गए हैं।’ नीतीश कुमार की सेक्युलर राजनीति की ओर इशारा करते हुए गिरिराज ने कहा, ‘बिहार सरकार को भी लव जिहाद को सांप्रदायिकता का नाम न देकर सामाजिक समरसता के लिए लव जिहाद और जनसंख्या नियंत्रण क़ानून पर काम करने की ज़रूरत है।’ उन्होंने कहा कि लव जिहाद को लेकर केरल में ईसाई समुदाय के लोगों ने भी चिंता जाहिर की है। 

जेडीयू का जवाब 

गिरिराज के इस बयान के बाद जेडीयू की ओर से भी प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक थी। नीतीश कुमार के पुराने साथी और पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, ‘बिहार में लव जिहाद जैसी कोई समस्या नहीं है, इसलिए ऐसे किसी क़ानून की भी वहां ज़रूरत नहीं है।’

जेडीयू की बिहार इकाई के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से जब गिरिराज सिंह के बयान को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने मुंह बनाते हुए पत्रकारों से कहा, ‘ऐसे बयानों पर आप चर्चा मत करिए। कभी-कभी किसी का बयान आता है तो इसका मतलब नहीं है कि उसको चर्चा का विषय बनाया जाए।’ वशिष्ठ नारायण सिंह के चेहरे के हाव-भावों से लग रहा था कि इस सवाल से वह असहज हुए हैं। 

वैसे भी बीजेपी और जेडीयू के बीच विचारधारा का जबरदस्त टकराव है। राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक़, सीएए-एनआरसी को लेकर जेडीयू का रूख़ बीजेपी से पूरी तरह अलग है। अब ये लव जिहाद का नया शिगूफा नीतीश को जीने नहीं देगा।

चुनाव से पहले तक नीतीश बड़े भाई की भूमिका में थे, इसलिए उन्होंने एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास करा लिया था। लेकिन बीजेपी राज्य में एनआरसी और सीएए को लागू करके रहेगी और इसके लिए वह सरकार से बाहर निकलने से भी संकोच नहीं करेगी। इससे सीधा संदेश ये देने की कोशिश होगी कि ‘हिंदू हितों’ के लिए वह सत्ता को भी कुर्बान कर सकती है। 

बीजेपी से 31 सीटें कम लाने वाले नीतीश के लिए बड़ी चुनौती अपने विधायकों को बचाने की भी है क्योंकि पटना से लेकर दिल्ली तक इस बात की चर्चा है कि बंगाल चुनाव के बाद जेडीयू और कांग्रेस के विधायक टूटकर बीजेपी में जाएंगे। 

Giriraj singh on love jihad controversy - Satya Hindi

मुसीबत में फंस गए नीतीश 

नीतीश के लिए मुश्किल ये है कि अब वे लौटकर महागठबंधन के पास जा नहीं सकते और यहां बीजेपी के ये हिंदूवादी फ़ायरब्रांड नेता उन्हें चैन से जीने नहीं देंगे। इन नेताओं को हाईकमान की भी शह है क्योंकि नेतृत्व भी नीतीश को दबाव में रखना चाहता है। 

बीजेपी ज़्यादा वक़्त तक मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर नहीं रहना चाहती चाहे इसके लिए राज्य में फिर से चुनाव कराने पड़ जाएं। वह सीधे ऐसा न करके पिछले दरवाजे से करेगी। मतलब यह कि हिंदुत्व के एजेंडे वाले मुद्दों पर जेडीयू से संबंध तोड़ लेगी। तब एक सूरत और बनती है कि महागठबंधन नीतीश के साथ आ जाए या उसे बाहर से समर्थन दे दे लेकिन इससे उसकी अपनी साख भी गिरेगी क्योंकि उसकी राजनीति का आधार भी नीतीश विरोध ही है। 

बिहार के चुनाव नतीजों पर देखिए चर्चा- 

कब तक चलेगी सरकार?

बीजेपी ने नीतीश के जोड़ीदार सुशील मोदी को हटाकर और संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले दो नेताओं को उप मुख्यमंत्री बनाकर साफ कर दिया है कि नीतीश के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा। सेक्युलर मिजाज वाले नीतीश की पार्टी का प्रदर्शन इस बार बेहतर नहीं रहा है और कितने वक़्त तक नीतीश बीजेपी के हिंदू नेताओं के सियासी तीरों को झेल पाएंगे, कहना मुश्किल है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें