बिहार के बक्सर में गंगा नदी में एक पुल के नीचे आज दूसरे दिन भी कई शव तैरते हुए पाए गए। एक दिन पहले ही उस क्षेत्र में क़रीब 40-45 शव मिलने से हड़कंप मच गया था। अधिकारियों के अनुसार, अब तक कुल 71 शव मिले हैं। यह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा के पास का क्षेत्र है। देश भर में कोरोना से मौत के आँकड़ों को छुपाए जाने के आरोपों के बीच इतनी बड़ी संख्या में शव मिलने से अधिकारियों के हाथ पाँव फुल गए। बिहार के अधिकारियों का आरोप है कि ये शव ऊपर से बहकर आ रहे हैं और इसके लिए उत्तर प्रदेश ज़िम्मेदार है।
इतनी बड़ी संख्या में शवों के मिलने से सवाल खड़े होते हैं कि आख़िर ये शव गंगा नदी में क्यों बहाए जा रहे हैं? क्या कोरोना संक्रमित लोगों की मौत के बाद उन्हें बहा दिया गया है? इन शवों को परिजनों ने गंगा में बहाया है या फिर प्रशासन ने? क्या श्मशान घाटों में लकड़ी की कमी हो गई है?
इन सवालों के जवाब अभी ढूँढे जाने बाक़ी हैं। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर ऐसी तसवीरें शेयर की गई हैं जिसमें कथित तौर पर दिख रहा है कि ब्रिज के ऊपर से एंबुलेंस ड्राइवरों ने शव नदी में फेंके। हालाँकि इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
हालाँकि स्थानीय लोग कहते हैं कि दोनों राज्य इसके लिए ज़िम्मेदार हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निवासी अरविंद सिंह ने कहा कि यूपी और बिहार दोनों राज्यों के एंबुलेंस चालक शवों को फेंक रहे हैं।
परेशान लोगों ने स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी थी। तब स्थानीय प्रशासन ने भी कहा था कि ये लाशें उत्तर प्रदेश से बह कर आई हैं। तब आशंका यह भी जताई गई थी कि ये कोरोना से मारे गए लोगों की है, जिन्हें परिजनों ने गंगा में प्रवाहित कर दिया होगा।
चौसा के बीडीओ अशोक कुमार ने सोमवार को एनडीटीवी से कहा था, 'क़रीब 40 से 45 लाशें होंगी, जो अलग अलग जगहों से बहकर महदेवा घाट पर आ कर लग गई हैं। ये लाशें हमारी नहीं हैं, हम लोगों ने एक चौकीदार लगा रखा है, जिसकी निगरानी में लोग शव जला रहे हैं।' अधिकारी ने कहा था कि 'यूपी से आ रही लाशों को रोकने का कोई उपाय नहीं है। ऐसे में हम इन लाशों के निष्पादन की तैयारी में हैं।'
सवाल यह है कि ये लाशें कहाँ से आई हैं? लोग यह अनुमान लगा रहे हैं कि ये लाशें वाराणसी या इलाहाबाद से आ रही होंगी। उत्तर प्रदेश में बहुत ही तेजी से कोरोना संक्रमण फैला है, ख़ास कर पंचायत चुनावों के बाद। उत्तर प्रदेश के गाँवों तक कोरोना के पहुँचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। तो क्या ये लाशें उन लोगों की हैं जो गंगा किनारे स्थित गाँवों में कोरोना से हुई मौत के बाद नदी में प्रवाहित कर दी गईं। आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं है।
बक्सर प्रशासन के एक प्रेस बयान में कहा गया कि, 'पूरी रात शवों को निकाला गया और पोस्टमार्टम किया गया। क्योंकि वे सड़ गए थे, इसलिए मौत का कारण अभी तक स्थापित नहीं हुआ है।' उन्होंने कहा कि 'हमने लाशों की पहचान करने में मदद करने के लिए डीएनए का सैंपल लिया है।
अधिकारियों ने उन ख़बरों को खारिज कर दिया कि स्थानीय लोगों द्वारा शवों को नदी में फेंक दिया गया था क्योंकि उनके दाह संस्कार के लिए जलाऊ लकड़ी की अधिक क़ीमतें वसूली जा रही थीं। जारी बयान में कहा गया है, 'श्मशान घाट पर पर्याप्त जलाऊ लकड़ी है और औसतन हर दिन छह से आठ शव जलाए जाते हैं।' इसमें यह भी कहा गया है, 'हमने सभी अधिकारियों को भविष्य में ऐसी घटनाओं के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है और उन्हें स्थानीय लोगों को नदी में फेंकने के बारे में जागरूक करने के लिए भी कहा है।'
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