एक बेहद अहम घटनाक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी की ओर से बनाई गई कोरोना रिलीफ़ टास्क फ़ोर्स की कमान कांग्रेस में बाग़ी गुट के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को सौंप दी। इसे एक ओर बाग़ियों के असंतोष को थामने की कवायद माना जा रहा है तो दूसरी ओर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से स्थायी अध्यक्ष चुने जाने और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में जबरदस्त घमासान हो चुका है। पार्टी में बाग़ी नेताओं का एक गुट है, जिसे G-23 कहा जाता है। इसकी कमान मोटे तौर पर आज़ाद के पास ही है।
कोरोना काल में जब देश में हालात काफी ख़राब हैं और मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है, ऐसे में सोनिया गांधी की ओर से कोरोना टास्क फ़ोर्स का गठन करना रणनीतिक रूप से अहम क़दम है और आज़ाद जैसे अनुभवी नेता को इसकी कमान सौंपने का मतलब है कि पार्टी रूठे हुए बाग़ी नेताओं को मनाना चाहती है।
इसी क्रम में पार्टी ने इन नेताओं की स्थायी अध्यक्ष चुने जाने और आंतरिक चुनाव की मांग पर भी काम किया है और दो दिन पहले हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में 23 जून को अध्यक्ष पद पर चुनाव कराने का एलान किया था। हालांकि कोरोना संकट के कारण इसे टालना पड़ा था।

सोनिया गांधी अस्वस्थता के बावजूद अध्यक्ष पद संभाले हुए हैं लेकिन ताज़ा हालात में जब असम, बंगाल, केरल, पुडुचेरी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है तो अध्यक्ष पद की मांग नए सिरे से उठने की संभावना को देखते हुए आलाकमान ने यह फ़ैसला लिया था।
आज़ाद के अलावा इस फ़ोर्स में कई पुराने और अनुभवी नेताओं को जगह दी गई है। इनमें अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, पवन कुमार बंसल, प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कुछ अन्य नेता शामिल हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ राहुल गांधी भी खासे आक्रामक रहे हैं। इसी क्रम में आगे आकर सोनिया का इस टास्क फ़ोर्स का गठन करने का मतलब है कि कांग्रेस मोदी सरकार को कोरोना से लड़ाई के मामले में बख़्शने को तैयार नहीं है।
आज़ाद को हटाया था
G-23 गुट के नेताओं की ओर से बीते साल सोनिया गांधी को लिखे गए एक पत्र के बाद पार्टी में भारी उथल-पुथल हुई थी। इसके बाद ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी ने बीते साल कांग्रेस महासचिव के पद से हटा दिया था क्योंकि आज़ाद कांग्रेस आलाकमान को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल थे। इससे कांग्रेस के अंदर चल रहा घमासान खुलकर सड़कों पर आ गया था।
शांति सम्मेलन में जुटे थे नेता
पार्टी में चल रहा घमासान फरवरी में तब और बढ़ गया था G-23 ने जम्मू में शांति सम्मेलन का आयोजन किया था। इसके जरिये पार्टी नेतृत्व को संदेश दिया गया था कि वे ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ खड़े हैं।
G-23 गुट के जो नेता जम्मू पहुंचे थे, उनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा सहित कुछ और नेता भी शामिल थे। हैरानी की बात यह थी कि इन सभी नेताओं ने भगवा पगड़ी पहनी हुई थी। शांति सम्मेलन के बाद कांग्रेस में कई नेताओं के बीच जमकर बयानबाज़ी हुई थी।
अपनी राय बतायें