2020 के बिहार विधानसभा का चुनाव था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक चुनावी सभा
को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सभा में आए लोगों से पूछा कि बताइये
बिहार को कितना पैकेज दिया जाए, उनके पूछने का अंदाज ऐसा था जैसे कि वे किसी वस्तू की नीलामी कर रहे हों।
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग काफी पुरानी है। नीतिश कुमार लगातार
इसकी मांग करते रहे हैं। केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब वह भाजपा के साथ मिलकर बिहार की
सरकार चला रहे थे। इस दौरान उन्होंने दर्जनों बार इस मांग को उठाया। भाजपा नीतिश
की इस मांग का लगातार समर्थन करती रही है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात
करते हुए कहा कि आगे से किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे राज्यों की मांग को 14वें वित्त
आयोग का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश आखिरी राज्य थे
जिन्हें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। इसका कारण आंध्र प्रदेश का विभाजन कर
तेलंगाना राज्य का गठन किया गया था।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग के पीछे का कारण केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए
मिलने वाला फंड है। जिन राज्यों को यह दर्जा मिलता है, उन्हें केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए योजना का 90 प्रतिशत
खर्च वहन करती है।
वहीं उड़ीसा भी ऐसी ही मांग करता रहा है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक
भाजपा के करीबी नेताओं में माने जाते हैं। अटल बिहारी वाजपेई के समय से ही वह
भाजपा के करीबी रहे हैं। मोदी के साथ भी उनके संबंध दोस्ताना माने जाते हैं। बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के भाषण के धन्यावद प्रस्ताव पर बोलते
हुए भाजपा सांसद सस्मित पात्रा ने ओडिशा के लिए इस मांग को संसद में उठाया
था।
नीतिश जब भाजपा के साथ होकर विपक्ष की राजनीति कर रहे थे। भाजपा ने उनकी इस
मांग को सरकार बनने पर पूरा करने का वादा किया था। लेकिन नौ साल बीत जाने के बाद
भी उसने नीतिश को मांग को पूरा नहीं किया है। उस रैली से पहले, बिहार के मुख्यमंत्री
नीतिश कुमार राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग लगातार करते रहे थे। मोदी ने उसी
सिलसिले पूछा था कि बिहार को कितना पैकेज दिया जाए।
कई साल तक भाजपा के साथ सरकार चलाने वाले नीतिश कुमार केंद्र से यह दर्जा नहीं
दिला पाए। उसके बाद उन्होंने गठबंधन तोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार
बना ली। केंद्र सरकार द्वारा विशेष राज्य के दर्जे वाली मांग को खारिज करने के बाद
संभावना है कि नीतिश और उनके सहयोगी इसको अगले लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना सकते
हैं। जिसके उन्होंने संकेत भी दे दिए हैं।
राजद के पार्टी कार्यालय में हुई एक बैठक में 25 फरवरी को एक रैली के आयोजन का
ऐलान किया गया। इस रैली गठबंधन के सभी सहयोगी शामिल होकर अपनी एकता का प्रदर्शन
करेंगे। गठबंधन की यह रैली 25 फरवरी को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में आयोजित की
जाएगी। इस रैली को लोकसभा चुनाव के पहले गठबंधन के मजबूत आधार को दिखाने की कोशिश
भी माना जा रहा है।
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