सीबीआई ने रेलवे भर्ती घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को गिरफ्तार कर लिया है। रेलवे भर्ती घोटाला मामले में लालू यादव उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती और हेमा यादव अभियुक्त हैं।
सीबीआई ने इस मामले में पटना में दो और दरभंगा में दो जगहों पर छापेमारी की है। भोला यादव के सीए के परिसर में भी छापेमारी की गई है।
यह मामला तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस वक्त कई उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरियां दी गई थीं।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही लालू यादव चारा जमानत घोटाले में जेल से बाहर आए हैं। विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर उन्हें निशाना बना रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ईडी के सामने पेशी को लेकर भी कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला था।
एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल?
ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के किसी विपक्षी नेता को समन करने या घरों, दफ्तरों पर छापेमारी के बाद वही पुराना सवाल फिर से खड़ा हो जाता है कि क्या इन एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। पिछले आठ सालों में जांच एजेंसियों की छापेमारी पर ढेरों सवाल उठे हैं कि क्यों ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं, उनके रिश्तेदारों, करीबियों को धड़ाधड़ समन भेज रही हैं या उनके घरों-दफ़्तरों पर छापेमारी कर रही हैं।विपक्षी नेता निशाने पर
जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से विपक्षी नेताओं में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, शिवसेना नेता संजय राउत, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रूजिरा नरूला बनर्जी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा सहित कई और नेताओं और आम आदमी पार्टी के कई विधायकों को जांच एजेंसियों की ओर से समन भेजा जा चुका है या पूछताछ की जा चुकी है।
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