एनआरसी और एनपीआर पर नीतीश कुमार के जेडीयू की आख़िर नीति क्या है? पहले नागरिकता क़ानून पर बीजेपी का साथ दिया और फिर देश भर में प्रदर्शन को देखते हुए एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का विरोध किया। और अब विवादास्पद एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए राज़ी हो गया। मोदी सरकार ही पहले कई बार कहती रही है कि एनआरसी के लिए एनपीआर पहला क़दम है। यानी साफ़ शब्दों में कहा जाए तो एनपीआर की जानकारी को भी एनआरसी के लिए इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। लेकिन अब मोदी सरकार ही सफ़ाई देती फिर रही है कि एनपीआर के डाटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं होगा। तो क्या मोदी सरकार लोगों में भ्रम फैला रही है और यही नीतीश कुमार का जेडीयू भी कर रहा है?
एनआरसी का विरोध करने वाला जेडीयू कैसे हुआ एनपीआर पर राज़ी?
- बिहार
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- 5 Jan, 2020
नागरिकता क़ानून, एनआरसी और एनपीआर पर क्या मोदी सरकार लोगों में भ्रम फैला रही है और यही नीतीश कुमार का जेडीयू भी कर रहा है?

यह सवाल इसलिए कि बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने एनपीआर की तारीख़ की घोषणा भी कर दी है और कहा है कि राज्य में 15 मई से 28 मई तक एनपीआर कराया जाएगा। बीजेपी का ही सहयोगी जेडीयू ने कहा है कि चूँकि प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया है कि देश में एनआरसी लागू करने की कोई योजना नहीं है, इसलिए एनपीआर लागू करने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सवाल है कि क्या जेडीयू को पता नहीं है कि एनआरसी और एनपीआर जुड़े हुए हैं?