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अशरफ अली फातिमी (सबसे बाएं), सीएम नीतीश कुमार के साथ

बिहार: नीतीश और जेडीयू को झटका, राष्ट्रीय महासचिव का इस्तीफा, क्या RJD में लौटेंगे?

जनता दल यूनाटेड (जेडीयू) महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अशरफ अली फातमी ने मंगलवार को नैतिक मूल्यों की रक्षा का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। उन्होंने चार लाइन के इस्तीफे में कहा कि वो पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दोनों से ही इस्तीफा दे रहे हैं। उन्हें नीतीश कुमार ने 20 जनवरी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। समझा जाता है कि फातमी वापस आरजेडी में जा सकते हैं। जहां से वो जेडीयू में आए थे।
फातमी की नजर दरभंगा लोकसभा सीट पर थी लेकिन नीतीश और भाजपा का गठबंधन होने पर यह सीट भाजपा के पास ही है। फातमी आरजेडी से चार बार दरभंगा लोकसभा सीट जीत चुके हैं। जेडीयू से उन्होंने एक बार यह सीट जीती है। अगर नीतीश का भाजपा से समझौता नहीं होता तो जेडीयू टिकट पर फातमी ही लोकसभा 2024 लड़ते। 
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मोहम्मद अशरफ अली फातमी बुधवार या गुरुवार को आरजेडी में शामिल हो सकते हैं। नीतीश ने जब से भाजपा से समझौता किया है, तभी से फातमी ने तेजस्वी से बातचीत शुरू कर दी थी। आरजेडी में आने पर उनकी सीट बदलकर उन्हें मधुबनी से लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। लेकिन ऐसा तभी हो पाएगा, जब अशरफ आरजेडी में आते हैं।
RJD इसी तरह छोड़ी थीः पूर्व केंद्रीय मंत्री, जिन्होंने दरभंगा से लोकसभा टिकट से इनकार के बाद आरजेडी से अपना 30 साल का नाता तोड़ लिया था। तब उन्होंने कहा था, आरजेडी "मनीबैग" के बोझ तले दब गई है। उन्होंने कहा था कि वह तेजस्वी यादव द्वारा मधुबनी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा पर प्रतिक्रिया देने के अभद्र और असभ्य तरीके से आहत थे।

चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी, जिन्होंने 2019 अप्रैल में आरजेडी छोड़ दिया था,जेडीयू में शामिल होते हुए कहा था कि वो अल्पसंख्यक समुदाय के बीच काम करना चाहते हैं, ताकि वे अपने "चिंतन" को अपने साथ जोड़ सकें। 

चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। कुल सात चरणों में मतदान होना है। बिहार में सभी सातों चरणों में वोट डाले जाएंगे। नीतीश कुमार ने जब से आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा से गठबंधन किया है, तभी से बिहार में सभी राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
यह भी खबरें आ रही हैं कि भाजपा के कुछ विधायक और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) भी नीतीश कुमार के कामकाज के तरीके को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। खबर है कि कैबिनेट विस्तार के बाद करीब आधा दर्जन से अधिक भाजपा विधायक छह पार्टी एमएलसी को शामिल किए जाने से नाखुश हैं। विधायकों की जगह कई भाजपा एमएलसी को मंत्री बनाया गया। इन बीजेपी विधायकों ने कैबिनेट विस्तार में एमएलसी को तरजीह देने के पार्टी नेतृत्व और नीतीश दोनों के फैसले पर सवाल उठाया है।

 
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बताया जाता है कि नाखुश भाजपा विधायकों के एक समूह ने रविवार रात पार्टी विधायक राजू सिंह के आधिकारिक आवास पर एक बंद कमरे में बैठक की। हालांकि राजू सिंह इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि कथित तौर पर कम से कम 10-11 भाजपा विधायक उस बैठक में शामिल हुए थे। विधायकों में से एक मिश्री लाल यादव ने बैठक में भाग लेने के बाद कुछ पत्रकारों से कहा कि कैबिनेट विस्तार में उन्हें नजरअंदाज किए जाने से पार्टी विधायकों में नाराजगी है। यादव के हवाले से कहा गया, "न केवल पार्टी के कुछ विधायक कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने और उनके स्थान पर एमएलसी लिए जाने से नाराज हैं, बल्कि और भी वजहों से विधायक नाराज हैं।"

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क़मर वहीद नक़वी
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