loader

बिहार: नीतीश ने कार्तिक कुमार से वापस लिया कानून विभाग 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्री कार्तिक कुमार से कानून विभाग वापस ले लिया है। उन्हें गन्ना उद्योग विभाग का नया मंत्रालय दिया गया है। नीतीश सरकार में कानून मंत्रालय अब मंत्री शमीम अहमद के पास रहेगा। बता दें कि सरकार बनने के बाद कार्तिक कुमार को लेकर एक विवाद सामने आया था। 

कार्तिक कुमार के खिलाफ अपहरण के एक मामले में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका है। कार्तिक कुमार आरजेडी के विधान परिषद सदस्य हैं। 

कार्तिक कुमार को 16 अगस्त को कोर्ट में सरेंडर करना था लेकिन उन्होंने सरेंडर नहीं किया और उसी दिन उन्होंने कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ ली थी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया था। 

ताज़ा ख़बरें
लेकिन बिहार की दानापुर अदालत का एक आदेश आया था, जिसमें मोकामा के थाना प्रभारी को आदेश दिया गया था कि कार्तिक कुमार के खिलाफ एक सितंबर तक किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।कार्तिक कुमार को कार्तिक मास्टर भी कहा जाता है। विधान परिषद के चुनाव में कार्तिक कुमार ने जेडीयू के उम्मीदवार को हराया था। 

क्या है मामला?

साल 2014 में राजीव रंजन नाम के एक शख्स का अपहरण हुआ था और इस मामले में कानून मंत्री कार्तिक कुमार भी अभियुक्त हैं। 

बिहार से और खबरें

कार्तिक कुमार बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह के बेहद करीबी हैं। अनंत सिंह की हाल ही में विधानसभा की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है। अनंत सिंह इन्हें कार्तिक मास्टर कह कर पुकारते हैं। कार्तिक कुमार शिक्षक भी रह चुके हैं।

कार्तिक कुमार अनंत सिंह के लिए चुनावी रणनीति बनाते थे और कहा जाता है कि उनके कामकाज को भी संभालते थे। अनंत सिंह आरजेडी के विधायक रहे थे। 

हमलावर हुई थी बीजेपी 

कार्तिक कुमार के शपथ लेने के बाद बीजेपी हमलावर हो गई थी और उसने कहा था कि बिहार में जंगलराज लौट आया है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि नीतीश कुमार अब ऐसे लोगों को नहीं रोक पाएंगे। मोदी ने कहा था कि मुख्यमंत्री को कानून मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार के अंदर हिम्मत नहीं है कि वह कार्तिक कुमार को बर्खास्त कर सकें। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें