loader

बिहारः कांग्रेस की 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा शुरू, कुछ हासिल होगा?

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक बड़ी पहल की है। कांग्रेस की 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा रविवार 16 मार्च से शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से हुई है और यात्रा को पटना तक जाना है। यह यात्रा चार सप्ताह तक चलेगी और लगभग 20 जिलों से होकर गुजरेगी, जिसका समापन 14 अप्रैल को पटना में होगा।

इस यात्रा का नेतृत्व कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार कर रहे हैं, जिन्हें पार्टी हाईकमान ने बिहार में जनता के बीच मुद्दों को उठाने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस का कहना है कि बिहार में सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार ने बेरोजगारी और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसके कारण राज्य के युवाओं को रोजगार के लिए अन्य राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। पार्टी इस यात्रा के जरिए इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाने और युवाओं को न्याय दिलाने का वादा कर रही है।

ताजा ख़बरें

पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में कांग्रेस ने बिहार में महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस, और वाम दलों) के हिस्से के रूप में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह केवल 19 सीटें जीत सकी। इसका एक प्रमुख कारण यह था कि कांग्रेस को गठबंधन में कमजोर साझेदार के रूप में देखा गया। आरजेडी ने अधिकांश मजबूत सीटें अपने पास रखीं, और कांग्रेस को ऐसी सीटें दी गईं जहाँ उसकी जीत की संभावना कम थी। इसके अलावा, पार्टी का राज्य में संगठनात्मक ढांचा कमजोर था, और स्थानीय नेतृत्व की कमी के कारण वह मतदाताओं से प्रभावी ढंग से जुड़ नहीं सकी। नतीजतन, कांग्रेस बिहार में एक प्रभावशाली राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने में असफल रही।

इस बार कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। 'पलायन रोको, नौकरी दो' यात्रा इस बदलाव का एक हिस्सा है। यह यात्रा बेरोजगारी और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर केंद्रित है, जो बिहार के युवाओं और ग्रामीण आबादी के लिए सबसे बड़ी समस्याएँ हैं। राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण हर साल लाखों लोग दिल्ली, मुंबई, और अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। कांग्रेस इन मुद्दों को उठाकर सत्तारूढ़ एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) सरकार की कथित नाकामी को उजागर करना चाहती है।

इस यात्रा का नेतृत्व कन्हैया कुमार जैसे युवा और ऊर्जावान नेता के हाथों में देना भी एक सोची-समझी रणनीति है। कन्हैया की वाकपटुता और युवाओं के बीच लोकप्रियता कांग्रेस को नई ऊर्जा दे सकती है। इसके अलावा, यह यात्रा चंपारण से शुरू हो रही है, जो ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि यहाँ से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह शुरू किया था। इस प्रतीकात्मक शुरुआत से पार्टी अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ने की कोशिश कर रही है।

बिहार की आबादी में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है। अगर कांग्रेस बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे पर युवाओं का भरोसा जीत लेती है, तो यह उसके लिए एक बड़ा वोट बैंक बन सकता है। यह यात्रा स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का मौका देगी। अगर इसे ठीक ढंग से प्रबंधित किया जाता है, तो कांग्रेस का कमजोर संगठनात्मक ढांचा मजबूत हो सकता है।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा में हजारों युवाओं, छात्रों और वंचित वर्ग के लोगों के शामिल होने की संभावना है। पार्टी ने यह भी संकेत दिया है कि वह इस बार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ गठबंधन में पहले की तरह कमजोर स्थिति स्वीकार नहीं करेगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे 70 से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और जीतने वाली सीटों पर फोकस करेंगे। कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेगी।

बिहार से और खबरें

हालांकि, इस यात्रा से फायदा होने की संभावना के साथ-साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं। पहला, बिहार में कांग्रेस का आधार पिछले कुछ दशकों में कमजोर हुआ है, और उसे बीजेपी, जेडीयू, और आरजेडी जैसे मजबूत दलों से कड़ी टक्कर मिलेगी। दूसरा, अगर यह यात्रा केवल प्रतीकात्मक रह जाती है और ठोस नीतियों या समाधानों का प्रस्ताव नहीं देती, तो जनता इसे गंभीरता से नहीं लेगी। तीसरा, एनडीए पहले ही इसे 'राजनीतिक नाटक' कहकर खारिज कर चुका है, और अगर सरकार इस दौरान कोई बड़ी घोषणा या योजना लाती है, तो कांग्रेस की यह पहल दब सकती है। 

बहरहाल, इस यात्रा ने बिहार का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। इस यात्रा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को लाने की कोशिश भी हो रही है। राहुल के आने पर इस यात्रा को और महत्व मिलेगा।
रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें