मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सियासी पाला बदल करने के बाद बिहार की सत्ता से बाहर हुई बीजेपी नए सिरे से रणनीति बना रही है। मंगलवार को दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और बिहार बीजेपी की कोर कमेटी के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि नीतीश कुमार को चुनौती देने वाला चेहरा राज्य बीजेपी में कौन होगा। इसके अलावा पूरे प्रदेश में ‘पोल खोल नीतीश कुमार’ रैलियां करने का भी फैसला लिया गया है।
यह बैठक बेहद अहम रही और इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे।
सियासी समीकरण बदले
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में इसमें से बीजेपी को 17 सीटों पर जीत मिली थी जबकि जेडीयू को 16 सीटों, लोक जनशक्ति पार्टी को 6 और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। नीतीश कुमार के बीजेपी का साथ छोड़ने और महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद निश्चित रूप से बिहार के सियासी समीकरण बदल गए हैं।
पारस-चिराग गुट होंगे एक?
बिहार के ताजा सियासी हाल में बीजेपी के पास सिर्फ पशुपति पारस की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ही साथी के रूप में है। यह भी खबर सामने आई है कि बीजेपी पशुपति पारस और चिराग पासवान के गुट को फिर से एकजुट करने पर काम करेगी।
नीतीश कुमार के साथ छोड़ने के बाद बीजेपी को राज्य में अति पिछड़ी जातियों का जो समर्थन मिलता था वह कम हो सकता है। महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के साथ यादव और मुस्लिम मतदाताओं के बड़े हिस्से का समर्थन है। कांग्रेस, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी और वामदलों के साथ ही जेडीयू का भी समर्थन बिहार में सत्तापक्ष को बहुत ताकतवर बनाता है।
जातीय तालमेल
बीजेपी की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव किए जाने हैं। क्योंकि अगले महीने प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके अलावा पार्टी को नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी नेता का चयन करना है। माना जा रहा है कि इन दोनों बड़े पदों पर पार्टी सवर्ण और दलित-पिछड़े समुदाय के नेताओं का तालमेल बनाएगी।
2024 चुनाव
नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ आते ही जिस तरह 2024 के लोकसभा चुनाव का जिक्र छेड़ दिया है और विपक्षी दलों को एकजुट करने की बात कही है, उससे यह साफ है कि बिहार के अंदर बीजेपी के लिए चुनौती काफी ज्यादा होगी क्योंकि महागठबंधन के दल 2024 के चुनाव में बीजेपी की सीटें कम करने की बात बीते दिनों में कई बार कह चुके हैं। देखना होगा कि नीतीश के इस सियासी झटके से क्या बीजेपी उबर पाएगी और क्या वह महागठबंधन की सरकार को घेर पाएगी?
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