महात्मा बुद्ध से लेकर महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की कर्मस्थली रहा देश का सबसे प्राचीन और समृद्ध राज्य बिहार गत 15 वर्षों में हुए अनेक मूलभूत विकास कार्यों के बावजूद अभी भी देश के पिछड़े राज्यों में ही गिना जाता है। आज भी बिहार के शिक्षित व अशिक्षित युवा रोज़ी-रोटी की तलाश में देश के अन्य राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं। महाराष्ट्र जैसे राज्य में तो बिहार के लोगों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि क्षेत्रीय मराठा राजनीति करने वाले नेता उत्तर भारतीयों (विशेषकर बिहार के लोग) के विरोध के नाम पर ही मराठा मतों के ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं।
क्या दिल्ली जैसा जनादेश देंगे बिहार के मतदाता?
- बिहार
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- 19 Feb, 2020

क्या बिहार के मतदाता इस बार दिल्ली जैसा जनादेश देंगे। क्या वे साफ-सुथरी राजनीति करने और विकास का दावा कर रहे प्रशांत किशोर के नेतृत्व पर भरोसा करेंगे।
यह भी सच है कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर जय प्रकाश नारायण व कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता इसी राज्य का प्रतिनिधित्व करते थे परन्तु इसके बावजूद अन्य राज्यों की तुलना में बिहार का विकास होना तो दूर उल्टा बिहार तेज़ी से पिछड़ता ही चला गया। लगभग 3 दशकों तक बिहार भ्रष्टाचार, पिछड़ेपन,अपराध, जातिवाद व बेरोज़गारी का दंश झेलता रहा।