पिछले कुछ महीनों से आरएसएस और भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के लिए तूफ़ान खड़ा कर रखा है और बार-बार कह रहे हैं कि हिंदुओं के सब्र का बाँध अब टूट रहा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज से 31 साल पहले आरएसएस ने साफ़ कहा था कि राम मंदिर का निर्माण उसका मक़सद नहीं है। वह इस मुद्दे का इस्तेमाल दिल्ली की गद्दी पाने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में करना चाहता है। 1987 में आरएसएस के सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने विहिप के महामंत्री अशोक सिंघल को इस बात पर डाँट लगाई थी कि वे राम मंदिर निर्माण पर कैसे तैयार हो गए। उस वक़्त एक फ़ॉर्मूला बना था जिसके तहत विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करके बाबरी मसजिद को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए अपने स्थल से हटाया जाना था और राम चबूतरे से राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाना था। जब यह बात देवरस को पता चली तो उन्होंने सिंघल से कहा,