बीजेपी ने इसके लिए बहुत ही सुनियोजित और सोची समझी रणनीति पर काम किया। वह सीएए के मुद्दे पर कई महीनों तक चुप रही, इसके बदले वह इस पर बार-बार ज़ोर देती रही कि अंत में असम को विकास के रास्ते लाने में उसे ऐतिहासिक सफलता मिली है। पार्टी की रैलियाँ तड़क भड़क वाली होती थीं, जिसमें लंबे-चौड़े वायदे किए जाते थे और बढ़ा चढ़ा कर व्यंग्य भरी और अपमानजनक बातें कही जाती थीं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता असम की गौरवशाली विरासत की बातें बार-बार करते थे।
असम : बीजेपी के चुनाव रथ को कैसे रोकेगा विपक्ष?
- असम
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- 25 Mar, 2021

असम विधानसभा चुनाव 2021 के प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी जिस तरह सीएए से पीछे हट चुकी है, एक नया समीकरण बन गया है। असम के मशहूर लेखक व आलोचक हिरेन गोहाईं का इस पूरे मामले में क्या सोचना है, पढ़े यह लेख।
उन्होंने राज्य की सभ्यता- संस्कृति, परंपरा को अक्षुण्ण रखने का भरोसा लोगों को दिया और लोगों को आश्वस्त किया कि यदि फिर बीजेपी की सरकार बनी तो असम उग्रवाद, आन्दोलन, घुसपैठ, हिंसा, भ्रष्टाचार, बाढ़ और प्रदूषण से दूर रहेगा। राज्य के बीजेपी नेताओं ने अपने केंद्रीय नेताओं से 'बाहरी संस्कृति' और 'मुग़ल आक्रान्ताओं' के ख़िलाफ़ हुंकार लगाना भी सीख लिया। उन्होंने पुरानी घिसी-पिटी बातों को भी दुहराया कि कांग्रेस के लोग सिर्फ भ्रष्टाचार और 'मुसलिम तुष्टीकरण' में लगे रहे।