बीजेपी ने इसके लिए बहुत ही सुनियोजित और सोची समझी रणनीति पर काम किया। वह सीएए के मुद्दे पर कई महीनों तक चुप रही, इसके बदले वह इस पर बार-बार ज़ोर देती रही कि अंत में असम को विकास के रास्ते लाने में उसे ऐतिहासिक सफलता मिली है। पार्टी की रैलियाँ तड़क भड़क वाली होती थीं, जिसमें लंबे-चौड़े वायदे किए जाते थे और बढ़ा चढ़ा कर व्यंग्य भरी और अपमानजनक बातें कही जाती थीं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता असम की गौरवशाली विरासत की बातें बार-बार करते थे।