बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे विकास के मुद्दों पर आम जनता से वोट नहीं माँग सकती। चुनाव जीतने के लिए उसके पास एक ही ब्रह्मास्त्र है- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण। असम में इसी तरह की राजनीति करते हुए 2016 में बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछाते हुए बीजेपी ने एक बार फिर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू कर दिया है।