2024 के लोकसभा चुनाव के चार चरण में 381 सीटों पर यानी दो तिहाई से अधिक सीटों मतदान हो चुका है। ज्यादातर चुनाव विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस चुनाव में मतदाता बहुत शांत हैं। यहां तक कि पार्टियों के कार्यकर्ता और समर्थक भी मुखर नहीं दिखाई दे रहे हैं। जबकि आमतौर पर भाजपा के समर्थक मुखर ही नहीं बल्कि विपक्षियों पर आक्रामक भी रहते हैं। यही कारण है कि जमीन पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार भी हैरान हैं। इन पत्रकारों का कहना है कि उन्होंने इतना खामोश चुनाव पहले कभी नहीं देखा। लेकिन उनका मानना है कि अंदर ही अंदर एक धारा है जो चुनाव को निर्णायक बना रही है। यह धारा क्या है? क्या इस धारा ने चुनाव को बदल दिया है?

पिछले 5 साल से लगातार सामाजिक जागरूकता कार्यक्रमों और गोष्ठियों में इसकी चर्चा होती रही है कि भाजपा और आरएसएस का छुपा हुआ एजेंडा बाबा साहब के संविधान को बदलना है।
इस साल के जनवरी महीने में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह जैसे अतिपिछड़ा और किसान समाज के राजनेताओं को मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न दिया गया। उस समय भाजपा और नरेंद्र मोदी के पक्ष में माहौल बन रहा था। विपक्षी गठबंधन की एकता बिखरने लगी थी। नीतीश कुमार ने फिर से पाला बदल लिया और ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि बंगाल में इंडिया एलाइंस नहीं होगा। इससे विपक्षी एकता को झटका लगा। एक तरफ भाजपा के पास संसाधनों की भरमार है तो विपक्ष लगभग खाली हाथ है। कांग्रेस ने जो क्राउड फंडिंग के जरिए चंदा इकट्ठा किया था, उस पर भी ताला लगा दिया गया। कांग्रेस के खाते सील कर दिए गए। विपक्षी नेताओं पर ईडी सीबीआई की एक के बाद एक छापेमारी शुरू हो गयी। कांग्रेस सहित विपक्ष के तमाम नेताओं को डरा धमकाकर बीजेपी में शामिल कराया जाने लगा। इतना ही नहीं, हेमंत सोरेन जैसे चुने हुए आदिवासी मुख्यमंत्री को ईडी ने जेल भेज दिया। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी तिहाड़ भेज दिया गया। विपक्ष को निपटाने के लिए एक तरह का गुरिल्ला वार चल रहा था।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।