बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में जो था, वही लागू किया गया है, फिर कांग्रेस क्यों विरोध कर रही है?
बीजेपी के छह मंत्रियों का नेतृत्व करते हुए मोदी सरकार में नंबर दो माने जाने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब प्रेस कॉन्फ्रेन्स में यह बात कही कि वह सोच भी नहीं सकते कि वह या उनकी पार्टी किसानों के विरोध में कोई कदम उठा सकती है तो यह प्रतिक्रिया भावनात्मक अधिक महसूस हुई। जब उन्होंने कृषि बिल पर विरोध के बारे में कुछ न बोलकर विपक्ष के आचरण और संसद की मान-मर्यादा पर अधिक ज़ोर दिया, तब भी वो सायास या अनायास किसानों के मुद्दे की ही अनदेखी कर रहे थे।
कैसे माना जाए कि बिल पारित हुआ?
संसद में जिन दो बिलों को ध्वनिमत से पारित बता दिया गया है, क्या उसे पारित मान लिया जाए? जब संसद का बुनियादी आचरण ही यह है कि एक भी सदस्य अगर किसी विधेयक पर मत विभाजन की मांग करे तो वोटिंग होती है। फिर उपसभापति हरवंश ने इस परंपरा को तोड़ा क्यों? क्या किसी के कहने या इशारे पर तोड़ा? सवाल तो यह भी कि क्या वह ऐसा कर सकते हैं?