“लद गए वो दिन जब दुनिया में फासिज्म, डिक्टेटरशिप, कम्युनिज्म और सैनिक शासन हुआ करता था. अब डेमोक्रेसी को मारने का तरीका बैलट-बॉक्स के जरिये है. आज सैनिक विद्रोह या अन्य हिंसक तरीकों से सत्ता हड़पने की घटनाएँ एक्का-दुक्का होती हैं. दुनिया के तमाम देशों में आज नियमित चुनाव होते हैं. प्रजातंत्र फिर भी मरता है लेकिन उसका तरीका कुछ अलग है. अब चुनी हुई सरकारें हीं इस प्रजातांत्रिक शासन पद्धति का खून करती हैं बड़े प्यार से. वेनेजुएला, जॉर्जिया, हंगरी, निकारागुआ, पेरू, चिली, फिलिपीन्स, पोलैंड, रूस, टर्की, पोलैंड और श्रीलंका इसके उदाहरण हैं. आज सेना के टैंक सडकों पर नहीं होते. प्रजातान्त्रिक संस्थाएं देखने में वैसी की वैसी दीखती हैं. लोग मतदान करते हैं. और जो सत्ता में आता है डेमोक्रेसी का मुलम्मा बरक़रार रखते हुए अन्दर से उसकी अतड़ियां निकाल लेता है. ऐसे देशों में प्रजातंत्र के आवरण में सब कुछ कानूनी लगेगा. दावा किया जाएगा कि पहले का प्रजातंत्र गलत था और इसे मजबूत करना होगा. इस प्रक्रिया में न्यायपालिका से छेड़छाड़ की जायेगी. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नाम पर संस्थाओं की स्वायत्तता ख़त्म की जायेगी”
प्रजातंत्र को कैसे मारा जाता है...भारत का उदाहरण सामने है
- विश्लेषण
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- 5 Oct, 2024
प्रजातंत्र जनता से चलता है। प्रजातंत्र देश के हर समुदाय, वर्ग को साथ लेकर चलने का नाम है। भारतीय संविधान भी यही कहता है। लेकिन हाल ही में एक धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में भारत की स्थिति को भयावह बताया गया है। भारत में 2014 के बाद अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी छिन गई है। भारत ने इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट को खारिज कर दिया। भारत हर साल ऐसी रिपोर्टों को खारिज करता आ रहा है। लेकिन क्या इससे भारतीय लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। उसकी खामियां पर कितना पर्दा डाला जायेगा। भारत में प्रजातंत्र को कैसे मारा जा रहा है, उसी पर नजर डाली है वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह नेः
