सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बाग़ी विधायकों को अंतरिम राहत देते हुए एक ऐसा फ़ैसला दिया जिसे असामान्य बताया जा रहा है और जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष को मिले अधिकार पर सवाल उठ रहे हैं। दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष के अधिकार को पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही बरकरार रखा है। अब तक किसी मामले पर अध्यक्ष द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद ही अदालत ने न्यायिक समीक्षा की अनुमति दी है, और अध्यक्ष के फ़ैसले से पहले की प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार किया है।
ठाकरे सरकार संकट: अब क्या होगी विधानसभा उपाध्यक्ष की भूमिका?
- विश्लेषण
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- 29 Jun, 2022

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के सामने जो मौजूदा संकट है उसमें विधानसभा के उपाध्यक्ष की आख़िर क्या भूमिका है? जानिए, बागी विधायकों पर वह क्या-क्या फ़ैसला ले सकते हैं।
लेकिन महाराष्ट्र के मामले में कुछ असामान्य हुआ। महाराष्ट्र में उपाध्यक्ष (अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष के पास अधिकार) द्वारा बागियों को अयोग्यता वाला नोटिस दिए जाने पर कोर्ट ने हस्तक्षेप किया यानी उपाध्यक्ष द्वारा फ़ैसले लेने की प्रक्रिया में ही अदालत ने हस्तक्षेप किया। ऐसे में सवाल है कि आख़िर अध्यक्ष के वास्तव में अधिकार क्या हैं और सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में इससे पहले किस तरह के फ़ैसले दिए हैं।