सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बाग़ी विधायकों को अंतरिम राहत देते हुए एक ऐसा फ़ैसला दिया जिसे असामान्य बताया जा रहा है और जिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष को मिले अधिकार पर सवाल उठ रहे हैं। दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष के अधिकार को पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही बरकरार रखा है। अब तक किसी मामले पर अध्यक्ष द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद ही अदालत ने न्यायिक समीक्षा की अनुमति दी है, और अध्यक्ष के फ़ैसले से पहले की प्रक्रिया में हस्तक्षेप से इनकार किया है।