वैसे तो किसी भी प्रदेश में एक नगर निगम के चुनावी नतीजों से उस पूरे प्रदेश की राजनीतिक स्थिति का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन कुछ ख़ास स्थितियों में उससे निकलते संकेतों को तो समझा ही जा सकता है। गुजरात की राजधानी गांधीनगर में भी चुनाव तो वैसे नगर निगम का ही था, जिसके नतीजों के ज़्यादा निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस अंदाज़ में यह चुनाव लड़ा और जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर जितना लंबा-चौड़ा बधाई संदेश लिखा, उसने इस चुनाव के महत्व को बढ़ा दिया है।

आम आदमी पार्टी क्या गांधीनगर नगर निगम चुनाव में बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए खड़ी हुई थी? अगले साल जिन पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से 4 जगह से आप चुनाव लड़ रही है तो क्या विपक्ष को नुक़सान पहुँचाएगी?
गांधीनगर के नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने अभूतपूर्व जीत हासिल की है, सो उसका उत्साहित होना और अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उसका मनोबल बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन विपक्षी दलों के लिए इन चुनाव नतीजों का महत्व और भी ज़्यादा है। अगर इन नतीजों से विपक्षी दलों ने सबक़ नहीं लिया तो बीजेपी के ख़िलाफ़ एकजुट होने के सारे दावों और बीजेपी को हराने की हसरतों का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इस चुनाव के जो नतीजे आए हैं, उनसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को सबसे ज़्यादा सबक़ लेने की ज़रूरत है। शरद पवार भी इससे सबक़ लेकर अगर कोई पहल करें तो विपक्ष की राजनीति के हक में अच्छा होगा।