बहुत खामोशी है उदारीकरण के पैरोकारों और रुपए के अवमूल्यन में अनेक गुण देखने वाले अर्थशास्त्रियों में। डॉलर जब 79.37 रुपए का हो गया और रिजर्व बैंक की सारी कवायद के बाद भी अगले दिन मात्र चार पैसे सुधर पाया तो कोई भी ऐसा अर्थशास्त्री सामने नहीं आया जो रुपए के अवमूल्यन को निर्यात बढाने और जीडीपी बढने में योगदान का तर्क दे रहा था। डॉलर को चालीस रुपए पर लाने की बात करने वाले तो अब इस सवाल को छूने से भी बचने लगे हैं।
और कितना रुलाएगा डॉलर?
- विश्लेषण
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- अरविंद मोहन
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- 6 Jul, 2022


अरविंद मोहन
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिरता जा रहा है और यह कहां जाकर रुकेगा, कहना मुश्किल है।
उधर बाजार के जानकार हाल फिलहाल डॉलर के 82 रुपए तक पहुंचने की भविष्यवाणी करने लगे हैं। अभी करोना के समय से ही डॉलर दो रुपए से ज्यादा महंगा हुआ है जबकि इस बीच खुद अमेरिका परेशानी में रहा है और उसके यहां भी डॉलर के भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चा चलती रही है। अब यह कहने में हर्ज नहीं है कि किसी भी देश की मुद्रा की कीमत वहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति और आर्थिक प्रतिष्ठा को बताती है और इस बुनियादी पैमाने पर हमारी स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती दिखती है।
- Indian Economy
अरविंद मोहन
अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।