किस्सा पुराना है लेकिन दूध पर जीएसटी के विवाद ने याद दिला दिया। शायद नब्बे के दशक की बात है। हिंदी के तमाम अखबारों में खबरें छपीं - मशहूर साहित्यकार उपेंद्रनाथ अश्क नींबू पानी बेच रहे हैं। जाहिर है हिंदी साहित्य और साहित्यकारों की दुर्दशा का नमूना था।लेकिन जब कुछ जिज्ञासुओं ने पता लगाने की कोशिश की कि माजरा क्या है तो किस्से में पेंच निकल आया।

सबसे ज़बर्दस्त तरीके से यही खबर चली है कि इतिहास में पहली बार अनाज और दूध दही पर भी जीएसटी लग गया है। अनाज पर तो बाद में आते हैं लेकिन सबसे पहले दूध। सब तरफ खबर भी आ गई और इस बात पर चर्चा भी हो गई कि अब बच्चों के पीने के दूध पर भी टैक्स लग जाएगा।
हुआ यह कि अश्क साहब ने इलाहाबाद में अपने घर के बाहर ही एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली। खर्चा चलाने के लिए थी या वक्त काटने के लिए पता नहीं। मगर किसी अखबार नवीस को यह खबर लगी तो उसने अखबार में लिख दिया कि अश्क साहब ने परचून की दुकान खोली।