किस्सा पुराना है लेकिन दूध पर जीएसटी के विवाद ने याद दिला दिया। शायद नब्बे के दशक की बात है। हिंदी के तमाम अखबारों में खबरें छपीं - मशहूर साहित्यकार उपेंद्रनाथ अश्क नींबू पानी बेच रहे हैं। जाहिर है हिंदी साहित्य और साहित्यकारों की दुर्दशा का नमूना था।लेकिन जब कुछ जिज्ञासुओं ने पता लगाने की कोशिश की कि माजरा क्या है तो किस्से में पेंच निकल आया।