रविवार को क्रिकेट मैच देख रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से जब मीडिया ने पूछा कि कौन जीतेगा तो उनका जवाब था- इंडिया जीतेगा और आगे भी 'इंडिया ' ही जीतेगा। पहली जीत तो वे क्रिकेट की बता रहे थे तो दूसरी जीत लोकसभा में 'इंडिया' गठबंधन की। पर मध्य प्रदेश को लेकर जो बदमज़गी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में पैदा हुई है उससे लोकसभा में भी कई तरह की दिक्कत पैदा हो सकती है। उसकी वजह साफ़ है कि सहयोगी दलों को भरोसे में न लेना और हल्के क़िस्म की बयानबाज़ी। पहले विवाद को समझ लें।
सहयोगी दलों से तालमेल बिना कांग्रेस का रास्ता आसान नहीं!
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- 30 Oct, 2023

कांग्रेस क्या लोकसभा चुनाव में सहयोगी दलों के बिना बीजेपी या उसके एनडीए से मुक़ाबला कर पाएगी? आख़िर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच में हाल के घटनाक्रम के क्या सबक हैं?
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बैठक भोपाल में हुई। कांग्रेस ने पहल की और छह सीटों को चिन्हित किया गया। बैठक रात डेढ़ बजे तक चली जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेता थे। समाजवादी पार्टी अपनी एक जीती हुई सीट और तीन-चार दूसरे नंबर की सीट चाहती थी। बात क़रीब-क़रीब तय भी हो चुकी थी पर फिर कांग्रेस पलट गई और बातचीत टूट गई। इसपर भोपाल में दिग्विजय सिंह ने भी कहा, बात तो हो गई थी अचानक कैसे मामला बिगड़ गया यह पता नहीं। कांग्रेस ने उस सीट पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिया जो पिछली बार समाजवादी पार्टी जीत गई थी। इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कह दिया कि कांग्रेस लोकसभा की सभी अस्सी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मामला यहीं से बिगड़ गया क्योंकि अखिलेश यादव लगातार कह रहे थे कि वे उत्तर प्रदेश में भाजपा को इंडिया गठबंधन से हराएंगे।