बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में दो ही तरह के फ़ैसलों की उम्मीद (आशंका भी कह सकते हैं) थी।
बाबरी मसजिद केस: फ़ैसला वही आया, जैसी कि उम्मीद थी!
- विश्लेषण
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- 30 Oct, 2020

बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में 28 साल बाद आए सीबीआई की विशेष अदालत के फ़ैसले में कहा गया है कि ढांचे को गिराये जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वत: स्फूर्त थी। अदालत ने कहा है कि इस घटना को अराजक तत्वों ने अंजाम दिया और यह घटना अचानक हुई। क्या घटना के उपलब्ध वीडियो, तसवीरों को देखकर यह माना जा सकता है कि यह घटना अचानक हुई होगी।
1. बाबरी मसजिद विध्वंस किसी साज़िश या उकसावे का नतीजा नहीं था, इसलिए इन सभी अभियुक्तों को बरी किया जाता है।
2. बाबरी मसजिद विध्वंस साज़िश और उकसावे का नतीजा था लेकिन अभियुक्त उस साज़िश या उकसावे के दोषी नहीं थे। असली षड्यंत्रकर्ता कोई और थे।
इससे इतर किसी तीसरे या चौथे फ़ैसले की उम्मीद बेमानी थी। बेमानी इसलिए कि जब जाँच की महज़ ख़ानापूर्ति की जाये, सबूत जानबूझकर न जुटाये जायें और वादी अपने मामले को साबित करने की कोशिश भी न करे, तो निर्णय तो यही आना था।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश