दलित राजनीति में अपनी दख़ल स्थापित करने के लिए आतुर बीजेपी की तरफ से कई सेल्फ़ गोल हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दलित एक्ट में कुछ बदलाव आने के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आनन-फानन में नया कानून बनाकर अपने पारंपरिक वोट सवर्णों को बहुत नाराज़ कर दिया है। अभी संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में सवर्णों ने बड़े पैमाने पर बीजेपी का विरोध किया। पार्टी के रणनीतिकार उम्मीद कर रहे हैं कि दलितों का एक वर्ग उनकी तरफ आ जाएगा, लेकिन भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर के साथ जो हो रहा है लगता है, दलितों में बड़े पैमाने पर बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल बनेगा। चंद्रशेखर वोट दिलाने की स्थिति तो में अभी नहीं हैं लेकिन माहौल पैदा करने में बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। वे आजतक मुंबई में हैं। वे महारष्ट्र में कई सभाएं करना चाहते हैं। पुणे में सावित्री बाई फुले पीठ में उनका भाषण है और 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव के दलितों के आस्था के एक केंद्र विजय स्तंभ पर श्रद्धासुमन भी चढ़ाना  चाहते हैं लेकिन लगता है कि सब गड़बड़ा गया है। ख़बर है कि उनको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।