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यमन पर बमों की बारिश

यमन के हूतियों पर यूएस-यूके का हमला, 31 मारे गए, जानिए क्यों हुआ अटैक

अमेरिका और यूके ने शनिवार को ईरान समर्थित यमन के हूतियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य हमले शुरू किए। जिसमें अभी तक कम से कम 31 लोगों के मारे जाने की सूचना है। हूतियों को राष्ट्रपति ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि अगर समूह अपनी कार्रवाइयाँ बंद नहीं करता, तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। यूएस ने कहा, "उन पर नरक की बारिश होगी।" ट्रम्प ने हूतियों के मुख्य समर्थक ईरान को भी कड़ी चेतावनी दी, और समूह को समर्थन तत्काल बंद करने की माँग की। उन्होंने आगाह किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कोई भी खतरा गंभीर परिणाम लाएगा, "अमेरिका आपको पूरी तरह जिम्मेदार ठहराएगा, और हम इसमें नरमी नहीं बरतेंगे!"

रॉयटर्स का कहना है कि ये हमले मध्य पूर्व में जनवरी में ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका की सबसे व्यापक सैन्य कार्रवाई है। यह हमला तब हुआ जब अमेरिका ने तेहरान पर परमाणु वार्ता के लिए दबाव बनाने के प्रयास में प्रतिबंधों को तेज कर दिया। 

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अमेरिकी हमलों में यमन की राजधानी सना में कम से कम 17 नागरिक और उत्तरी प्रांत सादा में 14 अन्य लोग मारे गए। हमलों में लगभग 23 लोग घायल हुए।

अधिकारियों ने कहा- शनिवार के हमले आंशिक रूप से लाल सागर में तैनात हैरी एस ट्रूमैन विमानवाहक पोत से लड़ाकू विमानों द्वारा किए गए। मध्य पूर्व में सैनिकों की देखरेख करने वाले अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड ने शनिवार के हमलों को यमन भर में एक बड़े पैमाने पर अभियान की शुरुआत बताया। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने X पर लिखा- 

"अमेरिकी जहाजों, विमानों और हमारे सैनिकों पर हूती हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उनके समर्थक ईरान को भी नोटिस दिया जाता है। नेविगेशन (जहाजों के आने-जाने) की स्वतंत्रता बहाल की जाएगी।"

ट्रम्प ने यमन के खिलाफ कहीं अधिक विनाशकारी सैन्य कार्रवाई की संभावना जताई। ट्रम्प ने लिखा है- "अमेरिकी जहाजों पर हूती हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम जब तक अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते, तब तक भारी घातक बल का उपयोग करेंगे।"

सना में निवासियों ने कहा कि हमले हिंसक थे और भूकंप की तरह महसूस हुए। एक निवासी ने कहा कि हमले हूती गढ़ में एक इमारत पर हुए। एक शख्स ने रॉयटर्स को बताया कि "विस्फोट हिंसक थे और मोहल्ले को भूकंप की तरह हिला दिया। इसने हमारी महिलाओं और बच्चों को डरा दिया।" सादा के दहयान में एक पावर स्टेशन पर एक अन्य हमले से बिजली गुल हो गई।

हूतियों ने हमलों को ‘युद्ध अपराध’ करार दिया। हौथियों के राजनीतिक ब्यूरो ने कहा- "हमारी यमनी सशस्त्र सेनाएँ बढ़ते तनाव का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।"

हमले की खास वजह

यमन के हूती इज़राइल पर लगातार हमले कर रहे थे। खासतौर पर लाल सागर से गुजरने वाले इज़राइली जहाज़ हूतियों के निशाने पर होते थे। दरअसल, इज़राइल ने जब ग़ज़ा में नरसंहार शुरू किया तो यमन में अंसारुल्लाह के नेता अब्दुल-मलिक अल-हूथी ने यमन के सशस्त्र बलों से अक्टूबर 2023 में रणनीतिक और संवेदनशील इज़राइली स्थलों पर हमला करने का आदेश दिया था। इज़राइली शासन के ग़ज़ा नरसंहार को अमेरिका की पूरी मदद थी। इसके बाद इज़राइन ने ग़ज़ा में पहुंचने वाले भोजन, दवा और अन्य जरूरी वस्तुओं की सप्लाई पर हमला किया। हूतियों ने इज़राइल को ग़ज़ा में ऐसा अपराध रोकने को कहा और फिर उनके कारोबारी शिप को लाल सागर में तबाह करना या हमला करना शुरू किया।
इन हमलों से इज़राइल की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा। क्योंकि अधिकांश शिपमेंट इज़राइली कंपनियों की होती थी। जनवरी में इज़राइल और हमास के बीच युद्ध विराम समझौते के लागू होने के बाद यमनी हूतियों ने भी अपना अभियान रोक दिया था।
हमास से समझौता होने के बावजूद इज़राइल ने ग़ज़ा में हमले जारी रखे। फिर उसने फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवीय सहायता की आवाजाही को भी रोक दिया। ताकि हमास को ग़ज़ा में रह रहे शासन के बंदियों को सौंपने के लिए मजबूर किया जा सके। इस पर हूतियों ने हाल ही में इज़राइली शासन को क्रॉसिंग खोलने और सहायता पहुँचाने के लिए चार दिन की समय-सीमा दी थी। उसके बाद इज़राइली जहाज़ों पर हमले शुरू होने थे। लेकिन उससे पहले ही यूएस और यूके ने हौथियों पर हमला कर दिया।

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पर्यवेक्षकों का तर्क है कि अमेरिकी हमले का मकसद इज़राइली जहाजों और इज़राइल से जुड़े जहाजों सहित इज़राइली लक्ष्यों के खिलाफ यमन के अभियानों को रोकने की कोशिश करना है। अभी यह कहना असंभव है कि यूएस यूके हूतियों को कितना खत्म कर पाएंगे। क्योंकि हमले कई दिन चलने वाले हैं। इज़राइल ने भी हमास को खत्म करने की घोषणा के साथ ग़ज़ा नरसंहार शुरू किया था लेकिन हमास खत्म नहीं हो पाया। 

रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
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क़मर वहीद नक़वी
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