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पुतिन (बायें) और ट्रम्प

रूस-यूक्रेन युद्ध पर यूएस की पहलः क्या ट्रम्प को मनचाहा नतीजा मिलेगा?

यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म कराने के लिए सऊदी अरब में रूस और यूएस के अधिकारियों की बैठक होने जा रही है। ट्रम्प ने जब इस पहल की घोषणा की थी, उसके बाद यह पहली बैठक होगी। रूस और यूक्रेन के बीच तीन वर्षों से युद्ध चल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की रूसी अधिकारियों के साथ ट्रम्प-पुतिन बातचीत से पहले सोमवार को सऊदी अरब पहुंचे। लेकिन जो बात खटक रही है वो ये कि यूक्रेन को नहीं बुलाया गया है। यूरोपीय देश खुद को शामिल न किये जाने पर ऐतराज जता रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या ट्रम्प को इस पहल से मनचाहा मकसद मिल जायेगा।

ट्रम्प ने कहा है कि वह युद्ध को खत्म करने के मकसद से बातचीत शुरू करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिल सकते हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल मैककॉल के हवाले से कहा गया कि अमेरिका-रूस अधिकारियों के बीच बातचीत का मकसद ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक की व्यवस्था करना होगा। 
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अमेरिका के शीर्ष राजनयिक रुबियो सऊदी अरब में ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और व्हाइट हाउस के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ के साथ रूसी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।

इतने महत्वपूर्ण घटनाक्रम में दो तथ्यों पर गौर किया जाना चाहिए। रूस ने अभी तक अपने अधिकारियों के नाम नहीं जारी किये, जिन्हें सऊदी अरब जाकर अमेरिकी अधिकारियों से बात करनी है। हैरानी की बात है कि यूक्रेन जो इस युद्ध का प्रमुख पक्षकार है, उसे इस अमेरिका ने वार्ता में बुलाया ही नहीं है। यानी कहा जा सकता है कि अमेरिका इस बातचीत को लेकर ज्यादा उत्साहित है। सऊदी अरब को बातचीत का स्थल चुने जाने की वजह ये है कि सऊदी अरब के रूस और अमेरिका दोनों से अच्छे संबंध हैं।

सऊदी अरब बातचीत के केंद्र में क्यों

सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रम्प ने खुले तौर पर सऊदी अरब को रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की वकालत की है। सऊदी अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का एक प्रमुख सदस्य है। ऊर्जा और जियो पॉलिटिक्स जैसे क्षेत्रों में अपने प्रभाव के कारण, उसके रूस के साथ मजबूत संबंध है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडोमिर ज़ेलेंस्की के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में रूस और यूक्रेन के बीच कई कैदियों की अदला-बदली में सऊदी अरब शामिल रहा है।

बीबीसी का कहना है कि यूएस-रूस मीटिंग में कोई यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल शामिल नहीं होगा। हालांकि बाद में जब वार्ता के दौर आगे बढ़ेंगे तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की भी शामिल होंगे। ट्रम्प ने रविवार को कहा था, "हां, वे (जेलेंस्की) इसमें शामिल होंगे।" अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले साल अपने प्रचार अभियान के दौरान बार-बार रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कसम खाई थी।

यूरोप चिंतित

यूरोपीय देशों ने इस घटनाक्रम पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पहल पर पेरिस में एक आपातकालीन बैठक हुई, जिसमें ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, इटली, स्पेन, यूक्रेन और यूरोपीय आयोग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन देशों ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन के भविष्य से संबंधित किसी भी निर्णय में उनकी भागीदारी आवश्यक है। बिना यूरोप को शामिल किये कोई भी समझौता स्थायी शांति नहीं ला सकेगा।

इस बीच रुबियो ने कहा, "अगले कुछ सप्ताह और दिन तय करेंगे कि यह बातचीत गंभीरता की तरफ बढ़ेगी या नहीं।आखिरकार, एक फोन कॉल से शांति नहीं आती। एक फोन कॉल से इस तरह के जटिल युद्ध का समाधान नहीं होता।"

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रुबियो ने ट्रंप के यूक्रेन दूत कीथ केलॉग की टिप्पणियों का खंडन किया है। केलॉग ने शनिवार को कहा था कि यूक्रेन शांति वार्ता में शामिल होगा, लेकिन यूरोपीय देश इसमें शामिल नहीं होंगे। रुबियो ने कहा, "अगर यह वास्तविक वार्ता है - और हम अभी तक वहां नहीं पहुंचे हैं। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो यूक्रेन को इसमें शामिल होना होगा, क्योंकि उन पर हमला किया गया था, और यूरोपीय देशों को भी इसमें शामिल होना होगा क्योंकि उन्होंने पुतिन और रूस पर प्रतिबंध लगाये हैं।"

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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