पीएम मोदी की डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक से पहले ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ़ का झटका दिया था और बैठक के बाद भारत के लिए 182 करोड़ रुपये की अमेरिकी 'फंडिंग' रद्द कर दी। इस फंडिंग को लेकर भारत में विवाद हो गया है। कुछ लोग इस फंडिंग पर ही सवाल उठा रहे हैं तो बीजेपी और कांग्रेस आपस में आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। बीजेपी ने जहाँ आरोप लगाया है कि यह भारत के चुनाव में अमेरिकी दखल जैसा है और कांग्रेस इस हथकंडे का इस्तेमाल कर रही है। इसने इस मामले को सोरोस से भी जोड़ा है। इस पर कांग्रेस ने पलटवार किया है।
अमेरिका ने 182 करोड़ का फंड रद्द किया तो बीजेपी, कांग्रेस क्यों लड़ रही हैं?
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- 17 Feb, 2025
अमेरिका ने 21 मिलियन डॉलर यानी 182 करोड़ रुपये के 'मतदान बढ़ाने' वाले फंड को रद्द किया तो बीजेपी और कांग्रेस आपस में क्यों लड़ रही हैं? जानें इस विवाद की पूरी कहानी।

बीजेपी और कांग्रेस के बीच में क्या आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह अमेरिकी फँडिंग क्या है और इसको लेकर अमेरिका ने क्या फ़ैसला लिया है। दरअसल, अमेरिका का यह फ़ैसला सुर्खियों में रहने वाले एलन मस्क के विभाग से जुड़ा है। मस्क को डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी डीओजीई का नेतृत्व सौंपा है। इसी डीओजीई ने भारत के लिए 21 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 182 करोड़ रुपये का फंड रद्द कर दिया। यह फंड कथित तौर पर भारत में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए दिया जाने वाला था। यह क़दम यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट यानी USAID द्वारा फंड दी गई परियोजनाओं पर डीओजीई की चल रही कार्रवाई का हिस्सा है।