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अमेरिका के राष्ट्रपति बहस में ट्रंप ने बेहूदगी की सारी हदें पार कर दीं! 

मॉडरेटर ने परेशान होकर यहाँ तक कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को वे नियम मानने चाहिए जिन पर उनका पक्ष बहस करने को तैयार हुआ है। हालांकि मॉडरेटर के यह कहने के बाद ट्रंप कुछ समय तक तो अपने निर्धारित समय पर बोले, लेकिन फिर उन्होंने बार बार बाइडेन के बयानों के बीच में टोका टाकी जारी रखी। 
जे सुशील अमेरिका से
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच हुई पहली सीधी बहस में अगर कुछ याद रखा जाने लायक है तो वह राष्ट्रपति ट्रंप का रवैया है जो कि बार बार बाइडेन और मॉडरेटर को रोकने टोकने और बीच में घुसकर अपनी बात कहने की कोशिश करना रहा।
ऐसी तीन बहसों में से होने वाली पहली बहस में ट्रंप ने वही कहा जो वह लगातर कहते आए हैं। कई सारे झूठ और साथ में आक्रामक रवैया, जिसके तहत वो लगातार दूसरे उम्मीदवार पर आरोप लगाते रहे। 
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आक्रामक ट्रंप

डेढ़ घंटे की इस बहस का फॉर्मेट कुछ यूं होता है कि हर मुद्दे पर दोनों उम्मीदवारों को बोलने के लिए दो-दो मिनट का समय दिया जाता है जिसके बाद दोनों उम्मीदवार जवाब देते हैं और बीच में मॉडरेटर सवाल भी पूछता है दोनों उम्मीदवारों से। 
सुप्रीम कोर्ट, कोविड-19, अर्थव्यवस्था, नस्लवाद और हिंसा, चुनाव को लेकर ईमानदारी जैसे मुद्दों पर होने वाली बहस सिरे से ही राष्ट्रपति ट्रंप के आक्रामक चिल्ल-पों से भरी रही। शुरूआती 40 मिनट में ही ट्रंप ने बार-बार बाइडेन को बीच में टोका और उन्हें बोलने नहीं दिया।
मॉडरेटर ने परेशान होकर यहाँ तक कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को वे नियम मानने चाहिए जिन पर उनका पक्ष बहस करने को तैयार हुआ है। ट्रंप कुछ समय तक तो अपने निर्धारित समय पर बोले, लेकिन फिर उन्होंने बार बार बाइडेन के बयानों के बीच में टोका टाकी जारी रखी।

चुप नहीं हो सकते ट्रंप!

बाइडेन कई बार इन टोका- टाकियों से परेशान होकर चुप भी हो गए और इंतज़ार करने लगे कि ट्रंप चुप हों। ऐसे ही एक क्षण में जब मॉडरेटर ने ट्रंप से चुप होने को कहा तो बाइडेन बोल पड़े- ये आदमी चुप होना जानता नहीं है, बस झूठ बोलना जानता है। 
पूरी बहस में कहीं से भी नहीं लगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद की गरिमा का ख्याल रखा जा रहा है। पूरी बहस में लग रहा था कि एक स्कूली बच्चा बेहद नाराज़़ होकर शिकायत किए जा रहा है। सामने एक ऐसा बच्चा है जो उसे समझाने की कोशिश बंद कर चुका है और टीचर परेशान है।

जज की नियुक्ति

ख़ैर, मुद्दों पर आएं तो सुप्रीम कोर्ट में नए न्यायाधीश के मामले में बाइडेन का कहना था कि जब चुनाव की प्रक्रिया जारी है और हज़ारों लोग पोस्ट बैलेट के लिए ज़रिए मत डाल चुके हैं तो ऐसे में नए जज की नियुक्ति वर्तमान राष्ट्रपति को नहीं करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में वोट डालने की तारीख भले ही तीन नवंबर की है, लेकिन लाखों लोग इस तारीख से छह हफ्ते पहले ही वोट डालना शुरू कर देते हैं खास तौर पर जो पोस्टल बैलेट के ज़रिए वोट डालते हैं। ट्रंप ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह चुनाव होने तक राष्ट्रपति हैं और नया जज नियुक्त करना उनका अधिकार है।

कोरोना

कोविड के मामले में बाइडेन ने ट्रंप सरकार की खामियाँ गिनाई, जिसके जवाब में ट्रंप के पास गिनाने को सिर्फ यह था कि बाइडेन के कार्यकाल में सार्स और एचवनएनवन हुआ था जिसमें 14 हज़ार लोग मरे थे। अमेरिका में कोविड से अब तक दो लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। 
इस पूरी बहस में एक भावुक क्षण तब आया जब ट्रंप ने अचानक जो बाइडेन के पुत्र हंटर बाइडेन का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि हंटर बाइडेन को करोड़ों रूपए मिले थे तब जब उनके पिता उप राष्ट्रपति थे। बाइडेन ने इन आरोपों का खंडन किया, जिसके बाद ट्रंप ने हंटर पर हेरोइन का नशा करने के आरोप भी लगाए।

हेरोइन

मॉडरेटर ने इस मामले को शांत किया, लेकिन अपनी आखिरी टिप्पणी में बाइडेन ने बताया कि उनका बेटा इराक युद्ध में सेना में रह चुका है और उसे सम्मानित किया गया। उसके बाद उसे हेरोइन की लत लगी थी। 
ट्रंप ने दो बार भारत का जिक्र किया, लेकिन नकारात्मक रूप से। जब वह कोरोना से हुई मौतों का जिक्र कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि 'रूस, चीन और भारत जैसे देश बता नहीं रहे हैं कि वहां कितने लोग मरे हैं।' दूसरी बार जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने वायु प्रदूषण का जिक्र करते हुए भी भारत का नाम लिया।

टैक्स

टैक्स भरने के मामले पर मॉडरेटर के सवाल पर कि क्या ट्रंप सिर्फ 750 डॉलर टैक्स भरते हैं तो ट्रंप ने कहा कि जो नियम है उसका वह लाभ उठा रहे हैं और इस पर ट्रंप ने कहा कि ये नियम बदले जाएंगे। 

बाइडन का हमला

ट्रंप ने बार बार कहा कि बाइडेन ने अपने 47 साल के करियर में जो नहीं किया वो ट्रंप ने पिछले 47 महीनों में कर दिखाया है। ट्रंप के हस्तक्षेपों से परेशान होकर बाइडेन ने भी बहस के दूसरे हिस्से में कड़ा रवैया अपनाया और एक बार तो वह ट्रंप को जोकर तक कह बैठे, हालांकि दूसरी ही पंक्ति में उन्होंने सॉरी कह डाला। लेकिन आगे जब रूस का जिक्र आया तो बाइडेन ने कहा कि ट्रंप 'पुतिन के पिल्ले' हैं।  

नस्लीय हिंसा

इन मुद्दों से भी गंभीर मुद्दा रहा नस्ल और उससे जुड़ी हिंसा को लेकर, जहाँ ट्रंप का मुद्दा था कि बाइडेन पुलिस के पैसे काटने की रणनीति लेकर आए हैं जबकि ट्रंप पुलिस के हाथ मजबूत कर रहे हैं। इसके जवाब में बाइडेन ने सीधे सीधे कहा कि ट्रंप नस्लवादी हैं और वह हर मौके का उपयोग लोगों के बीच हिंसा फैलाने के लिए करते हैं। अगर बाइडेन राष्ट्रपति बने तो अमेरिकी समाज में फैली 'सिस्टेमिक रेसिज़्म' को ख़त्म करने के उपाय किए जाएंगे।

संस्थागत नस्लवाद

इस मुद्दे पर बहस के दौरान जब मॉडरेटर ने कहा कि क्या ट्रंप व्हाइट सुपरमैसिस्टों यानी श्वेत नस्लवादियों की   आलोचना करते हैं तो ट्रंप ने इस मुद्दे का सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि बताइए किस ग्रुप की आलोचना करना है, मैं कर देता हूं। लेकिन सीधे सीधे व्हाइट सुपरमैसिस्टों की आलोचना का जवाब वह टाल गए। 
चुनाव के बाद क्या दोनों उम्मीदवार शांति से परिणाम को स्वीकारेंगे? इस सवाल के जवाब में ट्रंप ने वही दोहराया कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन वह बार बार यह भी कहते रहे कि पोस्टल बैलेट में धांधली हो रही है, फिर भी वह जीतेंगे। बाइडेन ने इस कुतर्क पर कुछ कहा नहीं, बल्कि उन्होंने सीधे अमेरिकी जनता से अपील की कि उन्हें जैसी भी सहूलियत हो उसी हिसाब से वो वोट दें क्योंकि लोकतंत्र की ताक़त उनके हाथ में है।
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