लंदन में गोल्ड की कीमतें दिसंबर से अब तक लगभग 20 डॉलर गिर गई हैं। व्यापारी इस बात से भी चिंतित हैं कि ट्रम्प गोल्ड पर भी टैरिफ लगा सकते हैं। इस वजह से अमेरिका में इसकी मांग में अचानक बढ़ोतरी हो गई है। लोग धड़ाधड़ वहां गोल्ड खरीद रहे हैं।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, जेपी मॉर्गन और एचएसबीसी जैसे प्रमुख बैंक शॉर्ट पोजीशन पर हुए नुकसान की भरपाई के लिए सोने को अमेरिका ले जा रहे हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा गोल्ड न्यूयॉर्क शहर में पहुंच रहा है, जहां यह अभी लंदन की तुलना में ज्यादा कीमती है। इस वजह से लंदन में गोल्ड की काफी कमी हो गई है, और डिलीवरी का समय कुछ दिनों से बढ़कर 4-8 सप्ताह हो गया है।
पिछले हफ्ते, ट्रम्प ने स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे यह आशंका और बढ़ गई कि ट्रम्प गोल्ड पर भी टैरिफ लगा सकते हैं।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, डिप्टी गवर्नर सर डेव रैम्सडेन का कहना है कि लंदन में कैश डिलिवरी और न्यूयॉर्क के फ्यूचर्स मार्केट की कीमतों के बीच महत्वपूर्ण अंतर के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) के पास गोल्ड खरीदने की भरमार हो गई है। न्यूयॉर्क में सोने के फ्यूचर्स में इस साल 11% की वृद्धि हुई है, जो प्रति ट्रॉय औंस 2,935 डॉलर तक पहुंच गया है, और कुछ विश्लेषकों ने प्रति ट्रॉय औंस 3,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। इस वजह से पिछले कुछ महीनों में लगभग 8,000 गोल्ड की सिल्लियां, जो BoE के कुल सोने के भंडार का लगभग 2% है, उसके तहखानों से निकाली गई हैं।
बड़े ट्रेडर बैंक अब लंदन के तहखानों और स्विस रिफाइनरियों से भारी मात्रा में गोल्ड निकालकर कीमतों के अंतर का फायदा उठा रहे हैं। इस गोल्ड को अमेरिका ले जाया जाता है, जहां इसे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में डिलीवर किया जाता है, जिससे बैंकों को न्यूयॉर्क में भारी कीमतों का फायदा मिलता है।
जेपी मॉर्गन इस मामले में अग्रणी है, और इस महीने अकेले 4 अरब डॉलर मूल्य के सोने को डिलीवर करने की योजना बना रहा है। आमतौर पर, लंदन और न्यूयॉर्क में सोने की कीमतें एक साथ चलती हैं, व्यापारी कीमतों में अंतर के दौरान गोल्ड भेज सकते हैं। जेपी मॉर्गन और एचएसबीसी जैसे बड़े खिलाड़ी गोल्ड के इस लेन-देन का प्रबंधन करते हैं और लंदन में अन्य बैंकों के लिए गोल्ड जमा करते हैं। लेकिन अब इस गोल्ड को वही बैंक यूएस ले जा रहे हैं।
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