यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने शनिवार को भारत, जर्मनी जैसे देशों में अपने राजदूतों को बर्खास्त कर दिया है। राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार भारत और जर्मनी के अलावा चेक रिपब्लिक, नॉर्वे और हंगरी में यूक्रेनी राजदूत हटाए गए हैं। रायटर्स ने यह ख़बर दी है।
राष्ट्रपति की वेबसाइट पर निकाले गए आदेश में इन राजदूतों को हटाए जाने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया है। उस आदेश में सिर्फ़ जर्मनी, भारत, चेक गणराज्य, नॉर्वे और हंगरी में यूक्रेन के राजदूतों को बर्खास्त करने की घोषणा की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भी अभी साफ़ नहीं है कि जिन राजदूतों को इन पाँचों देशों से हटाया गया है क्या उनको नई नौकरी दी जाएगी या नहीं। जिन पाँच देशों में कीव के इन पाँच राजदूतों पर कार्रवाई की गई है उन देशों के बारे में आम तौर पर धारणा यह है कि उन्होंने रूस के ख़िलाफ़ युद्ध में उस तरह का यूक्रेन के प्रति समर्थन नहीं जताया जिस तरह की उसे उम्मीद थी।
बता दें कि फ़रवरी के आख़िरी हफ़्ते में रूस ने यूक्रेन पर इस आशंका में हमला कर दिया था कि वह पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने की तैयारी में है। इस हमले के बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है। रूस की अपेक्षा कम संसाधनों वाला यूक्रेन पश्चिमी देशों और दुनिया के दूसरे देशों का समर्थन जुटाने के प्रयास में रहा है। कई देश यूक्रेन को अलग-अलग रूप में समर्थन व मदद भी देते रहे। लेकिन कुछ देशों से उसे निराशा हाथ लगी।
यूक्रेन की उम्मीदों के अनुसार समर्थन नहीं मिलने पर जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ की संसद में अपने भाषण में उसके सदस्य देशों से कहा था कि वे उनका साथ दें। ज़ेलेंस्की ने यूरोप के देशों को संबोधित करते हुए कहा था, 'यह साबित करें कि आप हमारे साथ हैं। साबित करें कि आप हमें भूलेंगे नहीं। साबित करें कि आप वास्तव में यूरोपीय हैं और फिर ज़िंदगी मौत पर जीत हासिल करेगी और प्रकाश अंधेरे पर जीत हासिल करेगा।' ज़ेलेंस्की ने यह भी कहा था, 'यूरोपीय संघ हमारे साथ बहुत मज़बूत होगा। आपके बिना यूक्रेन अकेला पड़ जाएगा।'
ज़ेलेंस्की ने अपने राजनयिकों से यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सैन्य सहायता को बढ़ाने का आग्रह किया। यह यूक्रेन के लिए बेहद अहम इसलिए है कि यह रूस के 24 फरवरी के आक्रमण को रोकने में मदद करेगा।
यूक्रेन ने अब जिन देशों में अपने राजदूतों को हटाया है उनमें जर्मनी भी शामिल है। जर्मनी रूसी ऊर्जा आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर है। ऊर्जा आपूर्ति का यह एक संवेदनशील मामला रहा है। यूक्रेन यूरोपीय देशों से रूस के साथ संबंध ख़त्म करने और रूस पर पाबंदी लगाने की मांग करता रहा, लेकिन कई यूरोपीय देश अपने आर्थिक हितों को देखते हुए ऐसा नहीं कर सके। जर्मनी अपनी और यूरोप की ऊर्जा ज़रूरतों को लेकर रूस के साथ संबंधों पर असमंजस की स्थिति में रहा है।
इसी तरह से जेलेंस्की भारत से बार-बार यह आग्रह करते रहे कि वह रूस पर युद्ध ख़त्म करने के लिए दबाव डाले। लेकिन भारत ने बीच का रास्ता अपनाया। यह दोनों पक्षों को बातचीत करने के लिए कहता रहा। भारत ने भी रूस से ऊर्जा की आपूर्ति जारी रखी।
मई महीने में जर्मनी पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा था कि इस युद्ध में कोई नहीं जीतेगा, इसलिए दोनों देशों में शांति होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा था, हाल की घटनाओं ने दिखाया है कि विश्व शांति और स्थिरता गंभीर स्थिति में है। भारत ने हमेशा कहा कि बातचीत ही यूक्रेन संकट को हल करने का एकमात्र तरीका है। इस युद्ध में कोई भी विजयी नहीं होगा।
अपनी राय बतायें