प्लेटो अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘फीडो’ में लिखते हैं कि ‘आओ, हम सबसे अधिक इस बात का ध्यान रखें कि ऐसी विपत्ति से हम ग्रस्त न हों कि हम विवेकद्वेषी बन जाएँ, जैसे कि कुछ लोग मानवद्वेषी हो जाते हैं; क्योंकि मनुष्यों के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता कि वे विवेक के शत्रु बन जाएँ।’