अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तर्ज पर ब्रिटेन की लेबर सरकार ने अवैध प्रवासियों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है। "यूके-वाइड ब्लिट्ज़" नामक अभियान ने भारतीय रेस्तरां, नेल सैलून, तमाम स्टोरों और कार वॉश जैसे कारोबार को टारगेट किया है। इन धंधों में बड़े पैमाने पर भारतीय और पाकिस्तानी नागरिक काम कर रहे हैं। हाल ही में यूएस से 104 अवैध भारतीय नागरिकों को हथकड़ी-बेड़ी लगाकर डिपोर्ट किया गया था। वो मुद्दा अभी तक गर्म है।
అమెరికా తరహాలో అక్రమ వలసదారుల ఏరివేతకు UK కఠిన చర్యలు.
— greatandhra (@greatandhranews) February 11, 2025
'బ్లిట్జ్ ' పేరుతో ఇండియన్ రెస్టారెంట్లు, కార్ వాష్ ఏరియాలు, బార్లను టార్గెట్ గా తనిఖీలు చేసి అక్రమ వలసదారులను స్వదేశాలకు పంపుతున్న ఆ దేశ హోంశాఖ వెల్లడించింది. #London pic.twitter.com/sOGy9yXsoK
प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की सरकार ने बॉर्डर सिक्योरिटी, असाइलम और इमिग्रेशन बिल पेश किया है, जिसका मकसद मानव तस्करी में शामिल आपराधिक गिरोहों के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक ताकत देना है। इस बिल के तहत, अवैध रूप से यूके में प्रवेश करने वालों के मोबाइल फोन को जब्त करने जैसी शक्तियां शामिल हैं। सरकार ने जुलाई 2024 से अब तक लगभग 19,000 लोगों को डिपोर्ट किया है, जिसमें गैर कानूनी रिफ्यूजी, विदेशी अपराधी और आव्रजन नियमों का उल्लंघन करने वाले शामिल हैं। हालांकि, इन कार्रवाइयों की आलोचना भी हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि यह प्रवासियों के प्रति "दुश्मनी वाला माहौल" बनाने जैसा है।
आप्रवासन के नियमों का उल्लंघनः अवैध प्रवासियों की समस्या का मूल कारण आप्रवासन के नियमों का उल्लंघन है। यूके और अन्य पश्चिमी देशों में आप्रवासन के कठोर नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। हालांकि, कई भारतीय प्रवासी इन नियमों का पालन किए बिना इन देशों में प्रवेश करते हैं या वीज़ा की समय सीमा पूरी होने के बाद भी रहते हैं। इससे इन देशों की आप्रवासन प्रणाली पर दबाव पड़ता है, जिससे सरकारें ऐसे लोगों को पहचानने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाती हैं।
आर्थिक बोझ
पश्चिमी देश आमतौर पर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और सामाजिक सुरक्षा (सोशल सिक्युरिटी) जैसी सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं। अवैध प्रवासी इन सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, जिससे वहां के स्थानीय नागरिकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। यूके और अन्य देशों की सरकारें इस बोझ को कम करने के लिए अवैध प्रवासियों को पहचानने और उन्हें देश से बाहर करने की कोशिश कर रही हैं।कानून और व्यवस्थाः अवैध प्रवासियों की उपस्थिति कानून और व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकती है। कई बार ये प्रवासी अवैध रूप से काम करते हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं। इसके अलावा, कुछ अवैध प्रवासी अपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, जिससे सामाजिक अशांति बढ़ती है। इसलिए, पश्चिमी देश अपने नागरिकों की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हैं।
राजनीतिक दबाव
पश्चिमी देशों में आप्रवासन एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। नागरिकों का मानना है कि अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या उनके रोजगार, संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित करती है। इससे राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ता है कि वे इस मुद्दे को हल करें। बहुत सारे राजनीतिक दलों की सदस्यता भी अवैध प्रवासियों ने पा ली है। ऐसे में उन राजनीतिक दलों को उनके लिए बोलना पड़ता है। इनके विरोध में उस देश के कट्टर लोग खड़े हो जाते हैं जो अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए आंदोलन करते हैं। यूके में ब्रेग्जिट के बाद आप्रवासन को लेकर राजनीतिक वातावरण और भी कड़ा हो गया है, जिससे अवैध प्रवासियों पर नज़र और भी तेज़ हो गई है।भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्याः भारतीय प्रवासियों की संख्या पिछले कुछ दशकों में यूएस-यूके सहित तमाम पश्चिमी देशों में काफी बढ़ी है। भारत से आने वाले प्रवासी आमतौर पर बेहतर रोजगार और शिक्षा की तलाश में होते हैं। हालांकि, कुछ लोग अवैध तरीकों से इन देशों में प्रवेश करते हैं या अपने वीज़ा की समय सीमा पूरी होने के बाद भी रहते हैं। इससे भारतीय प्रवासियों पर विशेष रूप से नज़र रखी जाती है।
अपनी राय बतायें