श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे मंगलवार देर रात को मुल्क छोड़कर भाग गए। वह परिवार के साथ मालदीव पहुंच गए हैं। उनके भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भी श्रीलंका छोड़ दिया है और वह अमेरिका चले गए हैं।
गोटाबाया राजपक्षे के साथ उनका परिवार और स्टाफ के तीन लोग भी मालदीव की राजधानी माले पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने संसद के स्पीकर और प्रधानमंत्री को अपना संदेश भेजा कि वह बुधवार को इस्तीफ़ा दे देंगे। श्रीलंका के नियमों के मुताबिक, राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा देश के चीफ जस्टिस को भेजना होता है और इसकी एक कॉपी प्रधानमंत्री और संसद के स्पीकर को भी भेजी जाती है।
राजपक्षे ने कहा था कि वह बुधवार को इस्तीफ़ा दे देंगे। न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक, गोटाबाया के परिवार और उनके साथ गए सभी लोगों के पासपोर्ट पर स्टांप लगा हुआ था और वे लोग एयरफोर्स की स्पेशल फ्लाइट से मालदीव के लिए निकल गए।
बीते शनिवार को एक बार फिर श्रीलंका में हालात खराब हो गए थे, जब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे और हालात बिगड़ने के अंदेशे से पहले ही राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे राष्ट्रपति भवन छोड़कर बाहर निकल गए थे।
प्रदर्शनकारी डटे
दूसरी ओर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन और सचिवालय के अंदर डटे हैं। उनकी राष्ट्रपति भवन के अंदर स्विमिंग पूल में नहाते हुए, किचन में खाना बनाते हुए और घूमते हुए की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक यहां डटे रहेंगे जब तक गोटाबाया राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा नहीं दे देते।
20 जुलाई को होगा चुनाव
स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा है कि श्रीलंका की संसद 20 जुलाई तक नए राष्ट्रपति का चुनाव कर लेगी। उन्होंने कहा कि आगामी शुक्रवार को संसद का सत्र होगा और 5 दिन बाद नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा।
श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बालवेगाया (एसजेबी) ने सोमवार को सर्वसम्मति से साजिथ प्रेमदासा को अंतरिम राष्ट्रपति पद के लिए नामित करने का फैसला किया है। एसजेबी के पास संसद में लगभग 50 सांसद हैं और राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए उन्हें 113 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता है।
श्रीलंका में बीते कई महीनों से हालात बदतर हैं। प्रदर्शनकारी कई बार सड़कों पर उतर कर हुकूमत को चेतावनी दे चुके थे कि वह हालात को खराब होने से बचाए लेकिन इतने महीनों बाद भी वहां की हुकूमत हालात को संभाल नहीं सकी।
लिट्टे को कुचला था राजपक्षे ने
पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे 24 वर्ष की उम्र में ही सांसद बन गए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा ने अप्रैल 2004 में महिंदा को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया था। नवंबर 2005 में उन्हें श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। चुनाव में उनकी जीत के तुरंत बाद महिंदा ने लिट्टे (LTTE) को कुचलने की घोषणा की थी। तब तक उन्होंने अपने परिवार के कई लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था।
महिंदा राजपक्षे ने लिट्टे के ख़िलाफ़ अभियान चलाया था और उस वक़्त गोटाबाया राजपक्षे इस सरकार में रक्षामंत्री थे।
लिट्टे के ख़िलाफ़ अभियान से राजपक्षे परिवार 'नायक' के तौर पर उभरा और 2010 में एक प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौटने के लिए इसका इस्तेमाल किया। तब उन्हें तीसरे कार्यकाल की अनुमति देने के लिए संविधान को बदल दिया गया था।
कहा जाता है कि सरकार में राजपक्षे परिवार के इतने लोग थे और इनका इतना दखल था कि बजट का अधिकतर आवंटन इस परिवार के मंत्रालयों के पास होता था। श्रीलंका मामलों के जानकार प्रो. एस डी मुनि ने कहा, 'श्रीलंका की जो आर्थिक स्थिति है उसका 70 फ़ीसदी से ज़्यादा राजपक्षे के परिवार के द्वारा नियंत्रित किया गया था।' उन्होंने कहा कि अहम मंत्रालयों में और अहम पदों पर राजपक्षे के परिवार के लोग बैठे थे।
बता दें कि राजपक्षे के सभी भाई, उनके बेटे, भतीजे, पोते और घर के दूसरे लोग भी सरकार में अहम ओहदों पर रहे हैं।
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